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रोके न रुका … क्यों
-प्रणाम / नमस्ते –- शान्ता शमाा
A अपने लिए नह ीं,
P परायों के लिए ह ,
J जीता रहा,
A अब क्यों छोड़ चिा ?
K कि (2020) तक क्यों न रुका ?
किाम तेरे कमाि को सिाम !
बीच तकि फ़ों के पैदा हुआ,
झेिकर मुसीबतों को पिा,
कु चिकर अड़चनों को आगे बढ़ा,
पूर िगन से खूब पढ़ा,
राह चि नेकी के , इनसान बना !
लसफ़ा इनसाननयत को ईमान माना,
युवकों को वतन का ‘कि’ माना,
बच्चों को ददि का प्यार ददया,
बरक्कत के ख़्वाब का मशवरा ददया,
अव्वि बनाने वतन को, यत्न ककया,
खूब प्रोत्साहन पढ़नेवािों को ददया |
देश-सेवा में ददन-रात, तन-मन एक ककया,
हँस-बोिकर लोगों को आकृ ष ्ट ककया,
आवाम के लिए सब कु छ कु रबान ककया,
परवाह न कर जजस्म की, ककतना काम ककया,
ककसी को न माना ग़ैर, अपना सबको बना लिया |
भरोसे तेरे ककतने काम हैं बाक़ी,
क्या जल्दी थी छिप जाने की,
क्यों बोली, बीच में ही रोक ड़ाली,
क्यों युवकों को ख़िरदमंद बनाने की शतत भुला दी !
क्यों खुद को ख़िलवतनशीं बना ललया ?
क्या अंतररक्ष से ऊपर उठ चला ?
पोकरण को कै से भूल चला ?
साधनाओं को क्यों रोक चला ?
लोगों से क्यों ररश्ता तोड़ चला ?
आख़खर वैसे... कहााँ ?? चला !
क्या ‘आकाश’ से बुलावा आया ?
क्या ‘पृथ्वी’ से बुलावा आया ?
क्या सागर-लहरों से बुलावा आया ?
क्या ‘अग्नन-पंखों’ से बुलावा आया ?
भारत रत्न, प.भू, प.ववभू, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मीजी का
संगीत सुनने का बुलावा आया?
‘दोहज़ार बीस’ बबन देखे क्यों चला गया ?
अब डॉक्टर कलाम कहााँ छिप गया ?
पद्म भूषण कलाम कहााँ छिप गया ?
पद्म ववभूषण कलाम कहााँ छिप गया ?
भारत रत्न कलाम कहााँ छिप गया ?
ख़िताबों का ह्कदार कलाम कहााँ छिप गया ?
भारत का पूवत राष्ट्रपछत कलाम कहााँ छिप गया ?
सुदूर दक्षक्षणी सागर-तट पर पैदा होकर,
तोड़ा दम सुमेरू के (4908 फु ट ऊाँ चा) लशल्लााँग में |
वह जगह जो कहलाती पूवी स्कॉट्लैण्ड |
लोग तो रोते रहे, पर तूने इछतहास के ,
पन्नों में छिपा ललया खुद को |
आगे की पीढ़ी के ललए सबक बन गया !
तुझे आख़खर हम दे ही क्या सकते ? –
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शुकिया !!

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  • 2. खूब प्रोत्साहन पढ़नेवािों को ददया | देश-सेवा में ददन-रात, तन-मन एक ककया, हँस-बोिकर लोगों को आकृ ष ्ट ककया, आवाम के लिए सब कु छ कु रबान ककया, परवाह न कर जजस्म की, ककतना काम ककया, ककसी को न माना ग़ैर, अपना सबको बना लिया | भरोसे तेरे ककतने काम हैं बाक़ी, क्या जल्दी थी छिप जाने की, क्यों बोली, बीच में ही रोक ड़ाली, क्यों युवकों को ख़िरदमंद बनाने की शतत भुला दी ! क्यों खुद को ख़िलवतनशीं बना ललया ? क्या अंतररक्ष से ऊपर उठ चला ? पोकरण को कै से भूल चला ? साधनाओं को क्यों रोक चला ? लोगों से क्यों ररश्ता तोड़ चला ? आख़खर वैसे... कहााँ ?? चला ! क्या ‘आकाश’ से बुलावा आया ?
  • 3. क्या ‘पृथ्वी’ से बुलावा आया ? क्या सागर-लहरों से बुलावा आया ? क्या ‘अग्नन-पंखों’ से बुलावा आया ? भारत रत्न, प.भू, प.ववभू, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मीजी का संगीत सुनने का बुलावा आया? ‘दोहज़ार बीस’ बबन देखे क्यों चला गया ? अब डॉक्टर कलाम कहााँ छिप गया ? पद्म भूषण कलाम कहााँ छिप गया ? पद्म ववभूषण कलाम कहााँ छिप गया ? भारत रत्न कलाम कहााँ छिप गया ? ख़िताबों का ह्कदार कलाम कहााँ छिप गया ? भारत का पूवत राष्ट्रपछत कलाम कहााँ छिप गया ? सुदूर दक्षक्षणी सागर-तट पर पैदा होकर, तोड़ा दम सुमेरू के (4908 फु ट ऊाँ चा) लशल्लााँग में | वह जगह जो कहलाती पूवी स्कॉट्लैण्ड | लोग तो रोते रहे, पर तूने इछतहास के , पन्नों में छिपा ललया खुद को | आगे की पीढ़ी के ललए सबक बन गया ! तुझे आख़खर हम दे ही क्या सकते ? –