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फाइब्रोमायिल्ज(FMS)
फाइब्रोमायिल्जय(FMS) एक िचरकारी (क्रोिनकरोग है िजसमें शरीर क� िविभन्न मा-पेिशयों
और िलगामेंट्समें बह�त ददर् रहता है। हल्का सा दबाने या स्पशर् करने से ददर् एकदम बढ़ जात
इस रोग में ददर् के साथ थकावट, िनद्रा और में जड़न भी रहती है। कु छ रोगी भोजन 
िनगलने में िदक्कत,मूत्र तथा मल िवसजर्न िवकार, िसरहन, सुन्नता और सं�ानात्मक िव
िशकायत करते हैं। इस रोग कोफाइब्रोमायिल् िसंड्रोम भी कहते हैं। इस बीमारी से पीि
रोगी कु छ सह िवकार जैसे अवसाद (Depression), िचंता, मानिसक तनाव और तनाव संबंधी
रोग जैसे पोस्-ट्रॉमेिटक स्ट्रेस िडसऑडर्र से भी ग्रस्त हो सकता है। इस रोग का 
आबादी का 2-4% है। यह मुख्यतः ि�यों का रोग है। �ी और पु�ष में इसके आघटन 
अनुपात 9:1 है। यह रोग 35 से 45 वषर् क� ि�यों किशकार बनाता है। फाइब्रोमायिल् नाम 
लेिटन शब्द,fibro, िजसका मतलब "तंतुमय ऊतक", ग्रीक शबmyo,  इसका शािब्दक अथर
मसल और कनेिक्टव िटश्यऔर algia का मतलब पेन ह�आ। 
इस बीमारी के रोिगयों के मिस्तष्क कु छ संरचनात्मक और कायार्त्मक ि वकृितयां देखी 
सकती हैं। लेिकन ह स्प� नहीं है िक ये िवकृितयां इस रोग के कारहोती हैं या िकसी अन्
िवकार के कारण। कु छ शोधकतार् मानते हैं िक मिस्तष्क क� ये िवकृितयां बचपन में िकसी लंब
गंभीर तनाव के कारण होती हैं। कुछ शोधकतार् इसे रोग को पेशीकंकालीयMusculoskeletal) 
रोग मानते हैं त कु छ इसे स्नाय-मनोरोग (Neuropsychiatric) बतलाते हैं।  इसका िनदान
ल�ण, उनक� तीव्रता और प-इंडेक्स के आधार पर िकया जाता है।
अभी तक इस रोग का कोई उपचार नहीं है। िसफर् ल�णों को दबाने  के िप्रशामक उपच
िदया जाता है। साथ में व्यवहार िचिकत्सा, िश�र व्यायाम क� भूिमका भी महत्वपूणर् ह
यू.एस. नेशनल इंिस्टट्यूट ऑफ हैल्थ एन्ड अमे�रकन कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी ने इस रोग 
के न्द्रीय स्नायु तंत्र का रोग मानफाइब्रोमायिल् एक स्नायु िवकार है िजसमें रोगी को दद
क�  अनुभूित, स्नायुमनोवै�ािनक ल�ण औ सं�ानात्मक िवका हो  सकते हैं। कुछ संशयी
शोधकतार् तो इसे रोग ही नहीं मानते हैं क्योंिक न तो जांच करने पर िचिकत्सक कोई ि
पकड़ पाता है और न ही आज तक कोई इसके  िनदान के  िलए कोई िवशेष जांच खोज पाया है।
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ल�ण 
ददर्
फाइब्रोमायिल् के  मुख्य ल�ण शरीर के ििभन्न िहस्सों िचरकारी (Chronic) तीव्र ददर
वेदना, थकान और छूने मात्र से ददर् का यकायक बढ़ जानAllodynia) है। ददर् लंबे समय तक
बना रहता है। इस रोग में ददर् मा-पेिशयों और टेंडन्स में होता है, जबिक आथ्रार्इददर्
जोड़ों में होता है। ददप्रा गदर्न, कंधे, कमर और कूल्हों में होता है। ददर् झबकन या चुभन
जैसा होता है। स्पशार्स�ताTenderness) सुबह सबसे अिधक होती है। साथ ही रोगी को 
त्वचा में िसरहन, पेिशयों में लंबे समय तक जकड़न, हारो में कमजोरी, नसों में ददर्, पेिशयो
िखंचाव (Muscle Twitching), �द्रवPalpitation), िक्रयात्मक मल िवसजर्न िवकार
िनद्रा िवकार हो सकते है
थकान
FMS के अिधकांश रोिगयों को भारी थकान रहती है।यह बह�त ही प्रमुख ल�ण है और क
शोधकतार् तो क्रॉिनक फटीग िसम और फाइब्रोमायिल् का एक ही रोग मानते हैं।इन दोनों
रोगोंके  बीच क� सीमा रेखा बह�त अस्प� होती है।थकान मामूली या बह�त तेज हो सकती है। कई
बार थकान इतनी ज्यादा होती है िक रोगी अपने िनत्य कायर् भी नहीं कर पाता थकान होने पर
रोगी बैठ गया या लेट गया तो िफर उसके  िलए ज�री काम के  िलए उठना भी मुिश्कल ह जाता
है।
मानिसक धुँध या "Fibrofog"
कई रोिगयों को कई सं�ानात्मक िवकारCognitive Dysfunction)  हो  सकते हैं। इसे
मानिसक धुँध या "Fibrofog" भी कहते हैं। इनमें रोगी को  ध-सृंस (Impaired
Concentration),  अल्पकािलक या दीघर्कािलक स्म-भ्रंशShortand Long-term
Memory Disorders), अल्पकािलक बह-कायर् अ�मता short-term multi-task), सं�ा-
स्तम्भCognitive overload),  (Impaired Speed of Performance )  और धी-सृंस
(Diminished Attention Span) आिद ल�ण हो सकते हैं।फाइब्रोमायिल् के रोगी को 
बह�धा िचंताकु लता और अवसाद के ल�ण भी होते हैं।
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सहिवकार comorbid Conditions
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) के रोगी को कु छ सहिवकार हो सकते हैं जैसे मायोफेिशयल िसंड्रो
िवस्तृत अत्वचीय अपसंवेदनताDiffuse non-dermatomal Paresthesias), कायार्त्म
मल िवसजर्न िवकार Functional Bowel Disturbances), वाितक गृहणी (Irritable
Bowel Syndrome), जननमूत्रांगी ल�णGenitourinary Symptoms) तथा अंतरावरण 
मूत्राशय शोथInterstitial Cystitis), त्वचा िवकार, िसरददर्, पेिशयों का फड़क
(Myoclonic Twitches) और अल्पशकर्रामयताHypoglycemia)। FMS में वैस तो शरीर में
कहीं भ ददर् हो जाता है लेिकन कुछ रोिगयों मप्रायअमुक स्थानों पर जैसे कंधे, गदर्न, कम
कूल्हे या िकसी अन्य स्थान पर ददर् होता है। कुछ रोिगयों में तेज या हल्-प्रावरणी दद
(Myofascial Pain) हो सकता है और शंख हनु संिध िवकार (Temporomandibular Joint
Disorder) हो सकता है। प्रायः आमवाितक संध्या-शोथ (Rheumatoid Arthritis) और
सांस्थािनकरि�म त्ग्�मा (Systemic Lupus Erythematosus) के 20-30% रोिगयों को
फाइब्रोमायिल् FMS हो सकता है। 
कारण
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) का स्प�कारण अ�ात है। इस रोग के कारणों के संदभर् मवै�ािनकों ने
कई प�रकल्पनाएं क� हैं, जैसे केन्द्रीय संवेदी"central sensitization")। इस प�रकल्पना
के अनुसार ददर् के संकेतों के प्रित मिस्तष्क क� संवेदनशीलता बढ़ने के कारष्क क� ददर
सहन करने क� सीमा (threshold for pain) कम हो जाती है। सरल शब्दों में मिस्तष्क मे
अनुभूित के एम्प्लीफायर सरिकट का वोल्यूम  कंट्रोल बढ़ जात
आनुवंिशकता
इस िदशा में हो रहे अनुसंधान बह�त प्रारंिभक अवस्था में है और संकेत भर िमले हैं ि
प�रवार में िकसी �ी को यह रोग हआ है तो उस वंश क� अन्य ि�यों को इस रोग का जोिख
अिधक रहता है।
4 | P a g e
तनाव
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग के िवकास मे तनाव प्रमुभूिमका िनभाता है। इस रोग के साथ 
प्रायः कुछ तनाव संबंधी िवकार जैसे क्रोिनक फटीग िसंड्रchronic fatigue
syndrome),  post traumatic stress disorder, वाितक गृहणी (irritable bowel
syndrome) और अवसाद (depression) होते ही हैं। अनुसंधानकतार्ओं ने शु�आती शोके
अनुसार बचपन या युवावस्था में शारी�रक और लैंिगक प्रताड़नफाइब्रोमायिल् से परस्पर
संबंध देखा गया है। 
शोधकतार्ओं ने दो अलग अग अध्ययन मेंFMS के रोिगयों के मिस्तष्क क� िसंगल वोक्
मेगनेिटक �रजोनेंस स्पेक्ट्रोस(1H-MRS) द्वारा जांच  और रोिगयों के िप्पके म्पस मे
कु छ चयापचय िवकृितयां िचिन्हत क थी। िविदत रहे सं�ानात्मककायर्, िनद्रा िनयंत्रण, स्
ददर् क� अनुभूितआिद कायर् िहप्पोकेम्पस में ही सम्पन्न होतशोधकतार्ओ ने कयास लगाया
िक हो न हो इन्ह िवकृितयों के कारण रोगी को उपरो� ल�ण होते हों
डोपामीन प�रकल्पन
इसके अनुसार फाइब्रोमायिल्ज(FMS) क� उत्पि� डोपामीन िनयोिजत नाड़ी संदेश प्रवाह 
आई �कावट आने के कारण होती है। डोपामीन के टेकोलामीन नाड़ी संदेशवाहक है और ददर् क�
अनुभूित और प्राकृितक ददर् िनवारNatural Analgesia) में सहायता करता है। डोपामीन क�
कमी हो जाने को हाइपोडोपािमनिजर्या कहते हैंFMS के एक सहिवकार (Restless Leg
Syndrome) में भी डोपामीनक� भूिमका देखी गई है। FMS  के कई रोिगयोंको डोपामीन 
उत्प्रेरक दवा प्रोिमपेक्सोल देने से उनके डोD2/D3 अिभग्राहक प्रोत्सािहत ह�ए और रो
बह�त लाभ देखा गया। यह दवा पािकर्नसन्स रोग औरRestless Leg Syndrome) में दी
जाती है। 
सीरोटोिनन चयापचय िवकार
सन् 1975 में शोधकताओं ने अनुमान लगाया िक FMS क� रोगजनकता में सीरोटोिनन नामक
नाड़ी संदेशवाहक क� भूिमका हो सकती है जो िनद्राSleep patterns), मनोदशा (Mood) 
और ददर् क� अनुभूित को िनयंित्रत करता।  सन्  1992 में FMS के रोिगयों के खून और
Cerebrospinal Fluid मे  सीरोटोिनन के चयापचय उत्पाद पाये गये। हालांिक इस रोग म
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Selective Serotonin Reuptake Inhibitors (SSRIs) के पयोग से िसिमत लाभ देखा
गया लेिकन Serotonin-Norepinephrine Reuptake Inhibitors (SNRIs) का प्रयो
बह�त सफल रहा। अवसाद और डायबीिटक नाड़ीरोग के  िलए अनुमोिदत ड्युलोक्सेटीन  ि�यों म
बह�त फायदेमंद पाई गई है। हां पुरषों को इससे फायदा नहीं ह�आ
ग्रोथ हाम�
हालांिक FMS के कई रोिगयों मेग्रोथ हाम�न्स द्वारा िनयंहाम�न जैसे IGF-1, कोिटर्जोल
(Cortisol), लेिप्टन Leptin) और न्युरोपेप्टा वाई (Neuropeptide Y) अिनयिमत पाये
गये, लेिकन उन्हेग्रोथ हाम� देने से िवशेष फायदा नहीं ह�आ। ऐसा कहा जा रहा है िक अभी
इस िदशा में और शोध करने क� ज�रत है।
मनोिव�ािनक पहलू
अक्सर FMS और िडप्रेशन में चोली दामन का साथ देखा गया है। हालांिक इस िवषय 
शोधकतार्ओं में मतभेद है शायद अभी और शोध करने क� आवश्यकता है।
गदरन में चो
गदरन क� चोट भी इस रोग का जोिखम बढ़ाती है। 
अिनद्र
शोधकत�ओं ने अिनद्रा औफाइब्रोमायिल् में परस्पर संबंध देखा है
एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डीएमाइनेज टाइप 1 क� कमी
एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डएमाइनेज टाइप 1 क� कमी (िजसे MADD कहते है और यह एक
अप्रभावआनुवंिशक चयापचय िवकार है) से भी रोगी को FMS जैसे ही ल�ण जैसे ददर् क�
संवेदना बढ़ना, थकावट और सं�ा स्तम्भCognitive Dysfunction)  होते हैं इसीिलए
MADD में दी जाने वाली दवा राइबो (Ribose) FMS में भी िहतकारी पाई ग है।
स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवकारNeuro-immunoendocrine disorder)
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शोधकतार्ओं को कुछ ऐसे संकेत िमले हैं िFMS स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवक है। FMS के
रोिगयों केCerebral spinal Fluid में पी पदाथर्IL-6, IL-8 और कोिटर्कोट्रोफो-�रलीिजंग
हाम�न (Corticotropin-Releasing Hormone) के  स्तर में बढ़ोतरी देखी गई हैFMS के
रोिगयों क� त्वचा क� बायोप्सी में बह�त मास्ट सेल देखे गये हैं। इसिलए हल्दी में पाया जा
प्रदाहरोधी, मास्ट सेल इन्हीबीटर और  प्राकृि क्युअरसेिटनFMS के रोिगयों के िलए
िहतकारी सािबत हो रहा है। 
सन् 1975 में मोल्डोफस्काई और सािथय ों ने फाइब्रोसाइिटस िसंड् रोम के रोिगयों 
अवस्था में ई.ई.जी. जांच क�।  ई.ई.जी. में अल्फा तरंगों क� सिक्रयता (जो प्रायः जाग
में ही देखी जा सकती ह) िदखाई दी।  शोधकतार्ओं ने यह भी देखा िक स्वस्थ व्यि�यों क� 
में जब खलल डाला गया तो उन् पेिशयों में द होने लगा। 
िनदान 
ऐसी कोई जांच नहीं है जोफाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग का स्प� िनदान कर सके। अिधकतर
रोिगयों में सारे प्रयोगशाला प,  एक्-रे, मांस-पेिशयों क� जीवोित जांच biopsies), 
सी.टी. और अन्य स्केन सामान्य आते है इन्फ्लेमेशन के माकर्सर् ज ैसे ई.एस.आर
सी.आर.पी. िबलकु ल सामान्य रहते हैं।ई रोिगयों में �मेटॉयड आथ्रार्इिट
ऑिस्टयोआथ्रार्इिटसजैसे ल�ण होते FMS का िनदान अिधकांश िचिकत्स अन्तरात्म
िनदान (differential diagnosis) के  आधार पर करते हैं। वे रोगी के ल�ण, िलंग, उम्
भौगोिलक िस्थित, िचिकत्सक�य इितहास और अन्य पहलुओं के आधार सभी संभािवत रोगों
ध्यान में रखते हैं और उनके िनदान हेतु अनुमोिदत परी�ण करवाते हैं। सभी परी�णों क�
िववेचना करके ही सही िनदान हो पाता है। अमे�रकन कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी (ACR) ने सन् 
1990 मेंफाइब्रोमायिल् के  िनदान हेतु िनम् मापदंड़ तय िकये हैं।
FMS का िनदान ल�ण और स्पशार्स�ता िबंदुओंtender points) के  आधार पर िकया जाता
है। 
यिद रोगी को तीन महीने या अिधक समय से शरीर में दोनों तरफ, कमर के नीचे तथा ऊपर औ
अ�ीय कं काल या axial skeleton ( जैसे गदर्न क� कशे�का, छाती का अग्र भाग, छाती 
कमर)  में ददर् हो रहा हो।
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फाइब्रोमायिल्जके  िनदान हेतु ACR ने शरीर में 18स्पशार्स�ता िबंदुtender points) 
सुिनि�त िकये हैं। इनमें से 11 या अिधक िबंदुओं को अंगुली या अंगूठे से दबाने पर ददर् हो तो म
िलया जाता है िक रोगी को  फाइब्रोमायिल्ज (FMS) है। दबाव  लगभग 4 िकलो  का होना
चािहये। 
अंतरात्मक िनदान
• क्रोिनक फटीग िसंड
• ऐडीसन्स रो
• िहपेटाइिटस सी
• हाइपरपेराथायरॉयिडज्
• हाइपोकोंड्राय
• व्यि�त्व िवक
• पॉलीमायिल्जय
• पोस्-ट्रोमेिटक स्ट्रेस िड
• पी�रयोिडक िलंब मूवमेंट िडसऑडर/रेस्टलेस लेग िसंड्
• इ�रटेबल बावल िसंड्र
• इंटरिस्टिशयल िसस्टाइि
• क्रोिनक पेिल्वक िसं/ प्इमरी िडसमेनो�रया
• टेपोरोमेंडीबुलर जॉइंट पे
• टेंशन हेडे/माइग्र
उपचार
फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग का कोई उपचार नहीं ह, िसफर् ल�णों का इलाज िकया जाता है
इस रोग के कारण और िवकृित-िव�ान पर ह�ई शोध से उपचार में सुधार आया है। इस रोग में इ
िदनों दवाइया,  सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्सcognitive-behavioral therapy), 
व्यायाम, िश�ा, और वैकिल्पक िचिकत्सा दी जाती ह
8 | P a g e
सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्सcognitive-behavioral therapy)
औषिधयाँ
FDA ने फाइब्रोमायिल्ज(FMS) के  िलए िप्रगाबािलन कोजून, 2007 में, डलोक्सेटीन को
जून, 2008 में और िमलनेसीप्रान को जनवरी, 2009 में अनुमोिदत िकया है। िप्रगाबाि
ड्युलोक्सेटी अिधकांश रोिगयों को फायदा करती है, लेिकन इससे कई रोिगयों को कोई ला
नहीं होता है। लेिकन ददर् और अन्य ल�णोंिमलनेसीप्र अिधक प्रभावशाली सािबह�ई है। 
अवसाद रोधी Antidepressants
अमे�रकन मेडीकल एसोिसयोशन मानता है िक अवसाद रोधी दवाइयाँ FMS के रोिगयों में ददर
अवसाद, थकावट, िनद्रा िवकार और जीवन स्तर में बह�त सुधार होता है। ित्रअवसाद 
रोधी बह�त प्रभावशाली हैं लेिकन इनके कई कुप्रभाव होतक्यों िक ये एड्रीनिजर्क, कॉलीन
या िहस्टेिमनिजर्क अिभग्राहक और सोिडयम चेनल्स क�-प्रणाली में छेड़छाड़ करते है
सलेिक्टव सीरोटोिनन �रअपटेक इिन्हबीटस (SSRIs)  और सीरोटोिनन नॉनइिपनेफ्र�
�रअपटेक इिन्हबीटसर(SNRIs) के कु प्रभाव कम होते ह
ट्राडोल
ट्रामाड के न्द्रीय िक्रयाशील ददर् िनवारक है, जो असामान्य ऑिपऑयड और अवसाद र
तरह भी कायर् करता है। यहFMS में मध्यम प्रभावी है। पेरािसटेमोल के साथ यह जल्दी से
करता है और इसका असर देर तक रहता है। यह युग्म प्रभावशाली है, सुरि�त है,  सहनीय 
और दो वषर् तक भी सफलतापूवर् िदया जा सकता है। असहनीयता भी उत्पन्न नहीं होती है
कोडीन और पेरािसटेमोल के समान प्रभावी है, लेिकन इससे नींद आने और कब्जी क� तक
कम होती है तथा  NSAIDs के  जैसे कु प्रभाव भी कम होते है
अस्पमार रोधी
FMS में अस्पमा र रो दवा गाबापेंिटन प्रयोग में नहीं ली जाती है। िप्रगा
450 िमिलग्र/िदन क� मात्रा में दी जा सकती हकोच्रेन डाटाबेस के अनुसार इसके प्रयोग
कु छ रोिगयों को संतोषजनक फायदा होता है, ज्यादातर को मध्यम और कुछ को कोई लाभ न
होता है या कु प्रभाव के कारण दवा बंकरनी पड़ती है।
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डोपामीन ऐगोिनस्ट
डोपामीन ऐगोिनस्टजैसे प्रेमीपेक्सोल और रोिपिनरोल से भी कुछ ही रोिगयों को थोड़ा लाभ 
पाता है। लेिकन बाध्यकारी जुआ खेलना या खरीदारी करना compulsive gambling and
shopping) जैसे कु प्रभाव हो सकते है
मसल �रलेक्सेंट्
साइक्लोबेंजाप्राCyclobenzaprine)  एक मसल �रलेक्सेंट् हैं, जो  मांस पेिशयों क
अकड़न और ददर् में प्रयोग क� जाती है। इस पर बह�त शोध ह�ई हैFMS मे सफलतापूवर्क
प्रयोग क� जा रही है
िटजािनडीन (Tizanidine) के न्द्रीय िक्रयाशील-2 ड्रीनिजर्क ऐगोिनस् और मल्टीपल
िस्क्लरोिसस, स्पािस्टक डायप्लेिजया, कमर ददर्, चोट आिद में पेिशयों क� जकड़न, 
ऐंठन के  िलए प्रयोग क� जाती है। यह भFMS मे सफलतापूवर्क प्रयोग क� जा रही ह
व्यायाम
FMS में व्यायाम का बह�त महत्व है। इससे म-पेिशयों क� जकड़न और अकड़नदूर होती है, 
नींद अच्छी आती है और शरीर के प्राकृितक ददर् िनवारक तत्वों का स्राव FMS के  िलए
तैराक� और जल क्र�ड़ाएं बह�त मुफ�द सािबत ह�ई हैFMS में �रबाउंडर पर उछलना सचमुच जादू
क� गोली है। 
तनाव प्रबंध
तनाव और िचंताकु लता से इस रोग के ल�ण तीव होने लगते हैं। इसिलए तनाव कम करना बह�त
ज�री है। इसके  िलए योग, प्राणायाम, मानिसक शांित, सकारात्मक आत्मदशर्न () या वह
भी िजससे आपको शांित िमलती है िनयिमत करें। 
एक्यूपंचर– शरीर क� सू�म ऊजार् प्रणाली को संतुिलत करती है, और ददर्, जकड़न, एंठन
िहतकारी है। 
स्नेहन massage therapy)  -   से तनाव कम होता है, र�संचार उ�ेिजत होता है और मांस-
पेिशयों क� वेदना कम होती है।
प्राकृितक अनुपूर
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ओमेगा-3 फै टी एिसड्स – ये प्रदाह को कम करते हैं और ददर् को भी कम करते हैं। इनका स
स्रोअलसी और इसका तेल है। 
एल-कािनर्टीन– मांस-पेिशयों को संबल देता है। 500 से 2000 िमिलग्राम प्रित िदन लेना 
है। 
मेग्नीिशयम और मैिलक एिसड– दोनों हीFMS के कई ल�ण ठीक करने में मदद करते हैं। इन्
क्रमशः 200 िमिलग्राम तीन बार और 800 िमिलग्राम एक बार लेना चा
एस-एडीनोिसलमीिथयोनीन - या S-adenosylmethionine (SAMe) मन प्रसन्न रखता ह
इसे 800 िमिलग्राम एक बार लेना चािहये
कै िल्शयम और िवटािम-डी - अिस्थ और मां-पेशी को मजबूत बनाता है। 
एन.ए.डी.एच NADH (Nicotinamide Adenine Dinucleotide) ऊजार् देता है, 0 िमिलग्रा
प्र िदन िलया जा सकता है। 
क्लोरेला– जो नीली हरी काई (Blue-green Algae) से बनाई जाती है, FMS में मददगार है
और इसे वसाका गोल्ड िलिक्वड एक्सट्रे क्ट के साथ िलया जात
के ट्स क्लॉ, हलदी और ब्रोमील- ददर् और प्रदाह में पाये गये 
जड़ी-बूिटयाँ
रेड क्लोव (Trifolium pratense - Red clover)  – यह ऊजार्दायक और र�ाप्रणा
उ�ेजक है। साथ ही यह िवटािमन-बी और सी का अच्छा स्रोत ह
पेशन फ्लॉवर Passiflora या Passionflower) – FMS में यह िचंता, तनाव, अिनद्रा आि
कई ल�णों में  राहत देती है
वेले�रयन (Valeriana officinalis - Valerian) – यह FMS के उपचार क� अिग्रम कतार म
शािमल है। यह प्राकृितक िनद्रादायक है और -पेिशयों क� वेदना, तनाव और एंठन को कम
करती है। साथ ही यह सजकता  औक एकाग्रता बढ़ाता है और मिस्तष्क का धुँधला"brain
fog") दूर करता है। 
के मोमाइल (Chamomile)  – शरीर और मन  का शांत  करती है तथा िनद्रादायक है। इसम
सेलेिनयम, िजंक और अन्य खिनज होते हैं जो र�ाप्रणाली कोमजबूत करते 
अ�गंधा –
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िग्रफोिनय ा िसिम्लिफकोिलयGriffonia Simplicifolia) में 5-HTP होता है, जो अच्छा
प्राकृितक ददर् िनवारक ह
इिकनेिसया (Echinacea) - र�ाप्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण को रोकता है। 
बच्चों को नहीं देना चािहय
बोसवेिलया या शलाक� (Boswellia Serrata) – प्रदाररोधी और द-िनवारक है और FMS में
बह�त िहतकारी पाई गई है।
ब्लैक करेंट सीड ऑयलBlack currant seed oil) – भी प्रदाररोधी और द-िनवारक है।

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Fibromyalgia

  • 1. 1 | P a g e फाइब्रोमायिल्ज(FMS) फाइब्रोमायिल्जय(FMS) एक िचरकारी (क्रोिनकरोग है िजसमें शरीर क� िविभन्न मा-पेिशयों और िलगामेंट्समें बह�त ददर् रहता है। हल्का सा दबाने या स्पशर् करने से ददर् एकदम बढ़ जात इस रोग में ददर् के साथ थकावट, िनद्रा और में जड़न भी रहती है। कु छ रोगी भोजन िनगलने में िदक्कत,मूत्र तथा मल िवसजर्न िवकार, िसरहन, सुन्नता और सं�ानात्मक िव िशकायत करते हैं। इस रोग कोफाइब्रोमायिल् िसंड्रोम भी कहते हैं। इस बीमारी से पीि रोगी कु छ सह िवकार जैसे अवसाद (Depression), िचंता, मानिसक तनाव और तनाव संबंधी रोग जैसे पोस्-ट्रॉमेिटक स्ट्रेस िडसऑडर्र से भी ग्रस्त हो सकता है। इस रोग का आबादी का 2-4% है। यह मुख्यतः ि�यों का रोग है। �ी और पु�ष में इसके आघटन अनुपात 9:1 है। यह रोग 35 से 45 वषर् क� ि�यों किशकार बनाता है। फाइब्रोमायिल् नाम लेिटन शब्द,fibro, िजसका मतलब "तंतुमय ऊतक", ग्रीक शबmyo, इसका शािब्दक अथर मसल और कनेिक्टव िटश्यऔर algia का मतलब पेन ह�आ। इस बीमारी के रोिगयों के मिस्तष्क कु छ संरचनात्मक और कायार्त्मक ि वकृितयां देखी सकती हैं। लेिकन ह स्प� नहीं है िक ये िवकृितयां इस रोग के कारहोती हैं या िकसी अन् िवकार के कारण। कु छ शोधकतार् मानते हैं िक मिस्तष्क क� ये िवकृितयां बचपन में िकसी लंब गंभीर तनाव के कारण होती हैं। कुछ शोधकतार् इसे रोग को पेशीकंकालीयMusculoskeletal) रोग मानते हैं त कु छ इसे स्नाय-मनोरोग (Neuropsychiatric) बतलाते हैं। इसका िनदान ल�ण, उनक� तीव्रता और प-इंडेक्स के आधार पर िकया जाता है। अभी तक इस रोग का कोई उपचार नहीं है। िसफर् ल�णों को दबाने के िप्रशामक उपच िदया जाता है। साथ में व्यवहार िचिकत्सा, िश�र व्यायाम क� भूिमका भी महत्वपूणर् ह यू.एस. नेशनल इंिस्टट्यूट ऑफ हैल्थ एन्ड अमे�रकन कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी ने इस रोग के न्द्रीय स्नायु तंत्र का रोग मानफाइब्रोमायिल् एक स्नायु िवकार है िजसमें रोगी को दद क� अनुभूित, स्नायुमनोवै�ािनक ल�ण औ सं�ानात्मक िवका हो सकते हैं। कुछ संशयी शोधकतार् तो इसे रोग ही नहीं मानते हैं क्योंिक न तो जांच करने पर िचिकत्सक कोई ि पकड़ पाता है और न ही आज तक कोई इसके िनदान के िलए कोई िवशेष जांच खोज पाया है।
  • 2. 2 | P a g e ल�ण ददर् फाइब्रोमायिल् के मुख्य ल�ण शरीर के ििभन्न िहस्सों िचरकारी (Chronic) तीव्र ददर वेदना, थकान और छूने मात्र से ददर् का यकायक बढ़ जानAllodynia) है। ददर् लंबे समय तक बना रहता है। इस रोग में ददर् मा-पेिशयों और टेंडन्स में होता है, जबिक आथ्रार्इददर् जोड़ों में होता है। ददप्रा गदर्न, कंधे, कमर और कूल्हों में होता है। ददर् झबकन या चुभन जैसा होता है। स्पशार्स�ताTenderness) सुबह सबसे अिधक होती है। साथ ही रोगी को त्वचा में िसरहन, पेिशयों में लंबे समय तक जकड़न, हारो में कमजोरी, नसों में ददर्, पेिशयो िखंचाव (Muscle Twitching), �द्रवPalpitation), िक्रयात्मक मल िवसजर्न िवकार िनद्रा िवकार हो सकते है थकान FMS के अिधकांश रोिगयों को भारी थकान रहती है।यह बह�त ही प्रमुख ल�ण है और क शोधकतार् तो क्रॉिनक फटीग िसम और फाइब्रोमायिल् का एक ही रोग मानते हैं।इन दोनों रोगोंके बीच क� सीमा रेखा बह�त अस्प� होती है।थकान मामूली या बह�त तेज हो सकती है। कई बार थकान इतनी ज्यादा होती है िक रोगी अपने िनत्य कायर् भी नहीं कर पाता थकान होने पर रोगी बैठ गया या लेट गया तो िफर उसके िलए ज�री काम के िलए उठना भी मुिश्कल ह जाता है। मानिसक धुँध या "Fibrofog" कई रोिगयों को कई सं�ानात्मक िवकारCognitive Dysfunction) हो सकते हैं। इसे मानिसक धुँध या "Fibrofog" भी कहते हैं। इनमें रोगी को ध-सृंस (Impaired Concentration), अल्पकािलक या दीघर्कािलक स्म-भ्रंशShortand Long-term Memory Disorders), अल्पकािलक बह-कायर् अ�मता short-term multi-task), सं�ा- स्तम्भCognitive overload), (Impaired Speed of Performance ) और धी-सृंस (Diminished Attention Span) आिद ल�ण हो सकते हैं।फाइब्रोमायिल् के रोगी को बह�धा िचंताकु लता और अवसाद के ल�ण भी होते हैं।
  • 3. 3 | P a g e सहिवकार comorbid Conditions फाइब्रोमायिल्ज(FMS) के रोगी को कु छ सहिवकार हो सकते हैं जैसे मायोफेिशयल िसंड्रो िवस्तृत अत्वचीय अपसंवेदनताDiffuse non-dermatomal Paresthesias), कायार्त्म मल िवसजर्न िवकार Functional Bowel Disturbances), वाितक गृहणी (Irritable Bowel Syndrome), जननमूत्रांगी ल�णGenitourinary Symptoms) तथा अंतरावरण मूत्राशय शोथInterstitial Cystitis), त्वचा िवकार, िसरददर्, पेिशयों का फड़क (Myoclonic Twitches) और अल्पशकर्रामयताHypoglycemia)। FMS में वैस तो शरीर में कहीं भ ददर् हो जाता है लेिकन कुछ रोिगयों मप्रायअमुक स्थानों पर जैसे कंधे, गदर्न, कम कूल्हे या िकसी अन्य स्थान पर ददर् होता है। कुछ रोिगयों में तेज या हल्-प्रावरणी दद (Myofascial Pain) हो सकता है और शंख हनु संिध िवकार (Temporomandibular Joint Disorder) हो सकता है। प्रायः आमवाितक संध्या-शोथ (Rheumatoid Arthritis) और सांस्थािनकरि�म त्ग्�मा (Systemic Lupus Erythematosus) के 20-30% रोिगयों को फाइब्रोमायिल् FMS हो सकता है। कारण फाइब्रोमायिल्ज(FMS) का स्प�कारण अ�ात है। इस रोग के कारणों के संदभर् मवै�ािनकों ने कई प�रकल्पनाएं क� हैं, जैसे केन्द्रीय संवेदी"central sensitization")। इस प�रकल्पना के अनुसार ददर् के संकेतों के प्रित मिस्तष्क क� संवेदनशीलता बढ़ने के कारष्क क� ददर सहन करने क� सीमा (threshold for pain) कम हो जाती है। सरल शब्दों में मिस्तष्क मे अनुभूित के एम्प्लीफायर सरिकट का वोल्यूम कंट्रोल बढ़ जात आनुवंिशकता इस िदशा में हो रहे अनुसंधान बह�त प्रारंिभक अवस्था में है और संकेत भर िमले हैं ि प�रवार में िकसी �ी को यह रोग हआ है तो उस वंश क� अन्य ि�यों को इस रोग का जोिख अिधक रहता है।
  • 4. 4 | P a g e तनाव फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग के िवकास मे तनाव प्रमुभूिमका िनभाता है। इस रोग के साथ प्रायः कुछ तनाव संबंधी िवकार जैसे क्रोिनक फटीग िसंड्रchronic fatigue syndrome), post traumatic stress disorder, वाितक गृहणी (irritable bowel syndrome) और अवसाद (depression) होते ही हैं। अनुसंधानकतार्ओं ने शु�आती शोके अनुसार बचपन या युवावस्था में शारी�रक और लैंिगक प्रताड़नफाइब्रोमायिल् से परस्पर संबंध देखा गया है। शोधकतार्ओं ने दो अलग अग अध्ययन मेंFMS के रोिगयों के मिस्तष्क क� िसंगल वोक् मेगनेिटक �रजोनेंस स्पेक्ट्रोस(1H-MRS) द्वारा जांच और रोिगयों के िप्पके म्पस मे कु छ चयापचय िवकृितयां िचिन्हत क थी। िविदत रहे सं�ानात्मककायर्, िनद्रा िनयंत्रण, स् ददर् क� अनुभूितआिद कायर् िहप्पोकेम्पस में ही सम्पन्न होतशोधकतार्ओ ने कयास लगाया िक हो न हो इन्ह िवकृितयों के कारण रोगी को उपरो� ल�ण होते हों डोपामीन प�रकल्पन इसके अनुसार फाइब्रोमायिल्ज(FMS) क� उत्पि� डोपामीन िनयोिजत नाड़ी संदेश प्रवाह आई �कावट आने के कारण होती है। डोपामीन के टेकोलामीन नाड़ी संदेशवाहक है और ददर् क� अनुभूित और प्राकृितक ददर् िनवारNatural Analgesia) में सहायता करता है। डोपामीन क� कमी हो जाने को हाइपोडोपािमनिजर्या कहते हैंFMS के एक सहिवकार (Restless Leg Syndrome) में भी डोपामीनक� भूिमका देखी गई है। FMS के कई रोिगयोंको डोपामीन उत्प्रेरक दवा प्रोिमपेक्सोल देने से उनके डोD2/D3 अिभग्राहक प्रोत्सािहत ह�ए और रो बह�त लाभ देखा गया। यह दवा पािकर्नसन्स रोग औरRestless Leg Syndrome) में दी जाती है। सीरोटोिनन चयापचय िवकार सन् 1975 में शोधकताओं ने अनुमान लगाया िक FMS क� रोगजनकता में सीरोटोिनन नामक नाड़ी संदेशवाहक क� भूिमका हो सकती है जो िनद्राSleep patterns), मनोदशा (Mood) और ददर् क� अनुभूित को िनयंित्रत करता। सन् 1992 में FMS के रोिगयों के खून और Cerebrospinal Fluid मे सीरोटोिनन के चयापचय उत्पाद पाये गये। हालांिक इस रोग म
  • 5. 5 | P a g e Selective Serotonin Reuptake Inhibitors (SSRIs) के पयोग से िसिमत लाभ देखा गया लेिकन Serotonin-Norepinephrine Reuptake Inhibitors (SNRIs) का प्रयो बह�त सफल रहा। अवसाद और डायबीिटक नाड़ीरोग के िलए अनुमोिदत ड्युलोक्सेटीन ि�यों म बह�त फायदेमंद पाई गई है। हां पुरषों को इससे फायदा नहीं ह�आ ग्रोथ हाम� हालांिक FMS के कई रोिगयों मेग्रोथ हाम�न्स द्वारा िनयंहाम�न जैसे IGF-1, कोिटर्जोल (Cortisol), लेिप्टन Leptin) और न्युरोपेप्टा वाई (Neuropeptide Y) अिनयिमत पाये गये, लेिकन उन्हेग्रोथ हाम� देने से िवशेष फायदा नहीं ह�आ। ऐसा कहा जा रहा है िक अभी इस िदशा में और शोध करने क� ज�रत है। मनोिव�ािनक पहलू अक्सर FMS और िडप्रेशन में चोली दामन का साथ देखा गया है। हालांिक इस िवषय शोधकतार्ओं में मतभेद है शायद अभी और शोध करने क� आवश्यकता है। गदरन में चो गदरन क� चोट भी इस रोग का जोिखम बढ़ाती है। अिनद्र शोधकत�ओं ने अिनद्रा औफाइब्रोमायिल् में परस्पर संबंध देखा है एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डीएमाइनेज टाइप 1 क� कमी एडीनोसाइन मोनोफोस्फेट डएमाइनेज टाइप 1 क� कमी (िजसे MADD कहते है और यह एक अप्रभावआनुवंिशक चयापचय िवकार है) से भी रोगी को FMS जैसे ही ल�ण जैसे ददर् क� संवेदना बढ़ना, थकावट और सं�ा स्तम्भCognitive Dysfunction) होते हैं इसीिलए MADD में दी जाने वाली दवा राइबो (Ribose) FMS में भी िहतकारी पाई ग है। स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवकारNeuro-immunoendocrine disorder)
  • 6. 6 | P a g e शोधकतार्ओं को कुछ ऐसे संकेत िमले हैं िFMS स्नाय-प्रितर-अंतःस्रावी िवक है। FMS के रोिगयों केCerebral spinal Fluid में पी पदाथर्IL-6, IL-8 और कोिटर्कोट्रोफो-�रलीिजंग हाम�न (Corticotropin-Releasing Hormone) के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई हैFMS के रोिगयों क� त्वचा क� बायोप्सी में बह�त मास्ट सेल देखे गये हैं। इसिलए हल्दी में पाया जा प्रदाहरोधी, मास्ट सेल इन्हीबीटर और प्राकृि क्युअरसेिटनFMS के रोिगयों के िलए िहतकारी सािबत हो रहा है। सन् 1975 में मोल्डोफस्काई और सािथय ों ने फाइब्रोसाइिटस िसंड् रोम के रोिगयों अवस्था में ई.ई.जी. जांच क�। ई.ई.जी. में अल्फा तरंगों क� सिक्रयता (जो प्रायः जाग में ही देखी जा सकती ह) िदखाई दी। शोधकतार्ओं ने यह भी देखा िक स्वस्थ व्यि�यों क� में जब खलल डाला गया तो उन् पेिशयों में द होने लगा। िनदान ऐसी कोई जांच नहीं है जोफाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग का स्प� िनदान कर सके। अिधकतर रोिगयों में सारे प्रयोगशाला प, एक्-रे, मांस-पेिशयों क� जीवोित जांच biopsies), सी.टी. और अन्य स्केन सामान्य आते है इन्फ्लेमेशन के माकर्सर् ज ैसे ई.एस.आर सी.आर.पी. िबलकु ल सामान्य रहते हैं।ई रोिगयों में �मेटॉयड आथ्रार्इिट ऑिस्टयोआथ्रार्इिटसजैसे ल�ण होते FMS का िनदान अिधकांश िचिकत्स अन्तरात्म िनदान (differential diagnosis) के आधार पर करते हैं। वे रोगी के ल�ण, िलंग, उम् भौगोिलक िस्थित, िचिकत्सक�य इितहास और अन्य पहलुओं के आधार सभी संभािवत रोगों ध्यान में रखते हैं और उनके िनदान हेतु अनुमोिदत परी�ण करवाते हैं। सभी परी�णों क� िववेचना करके ही सही िनदान हो पाता है। अमे�रकन कॉलेज ऑफ �मेटोलोजी (ACR) ने सन् 1990 मेंफाइब्रोमायिल् के िनदान हेतु िनम् मापदंड़ तय िकये हैं। FMS का िनदान ल�ण और स्पशार्स�ता िबंदुओंtender points) के आधार पर िकया जाता है। यिद रोगी को तीन महीने या अिधक समय से शरीर में दोनों तरफ, कमर के नीचे तथा ऊपर औ अ�ीय कं काल या axial skeleton ( जैसे गदर्न क� कशे�का, छाती का अग्र भाग, छाती कमर) में ददर् हो रहा हो।
  • 7. 7 | P a g e फाइब्रोमायिल्जके िनदान हेतु ACR ने शरीर में 18स्पशार्स�ता िबंदुtender points) सुिनि�त िकये हैं। इनमें से 11 या अिधक िबंदुओं को अंगुली या अंगूठे से दबाने पर ददर् हो तो म िलया जाता है िक रोगी को फाइब्रोमायिल्ज (FMS) है। दबाव लगभग 4 िकलो का होना चािहये। अंतरात्मक िनदान • क्रोिनक फटीग िसंड • ऐडीसन्स रो • िहपेटाइिटस सी • हाइपरपेराथायरॉयिडज् • हाइपोकोंड्राय • व्यि�त्व िवक • पॉलीमायिल्जय • पोस्-ट्रोमेिटक स्ट्रेस िड • पी�रयोिडक िलंब मूवमेंट िडसऑडर/रेस्टलेस लेग िसंड् • इ�रटेबल बावल िसंड्र • इंटरिस्टिशयल िसस्टाइि • क्रोिनक पेिल्वक िसं/ प्इमरी िडसमेनो�रया • टेपोरोमेंडीबुलर जॉइंट पे • टेंशन हेडे/माइग्र उपचार फाइब्रोमायिल्ज(FMS) रोग का कोई उपचार नहीं ह, िसफर् ल�णों का इलाज िकया जाता है इस रोग के कारण और िवकृित-िव�ान पर ह�ई शोध से उपचार में सुधार आया है। इस रोग में इ िदनों दवाइया, सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्सcognitive-behavioral therapy), व्यायाम, िश�ा, और वैकिल्पक िचिकत्सा दी जाती ह
  • 8. 8 | P a g e सं�ानात्मक व्यवहार िचिकत्सcognitive-behavioral therapy) औषिधयाँ FDA ने फाइब्रोमायिल्ज(FMS) के िलए िप्रगाबािलन कोजून, 2007 में, डलोक्सेटीन को जून, 2008 में और िमलनेसीप्रान को जनवरी, 2009 में अनुमोिदत िकया है। िप्रगाबाि ड्युलोक्सेटी अिधकांश रोिगयों को फायदा करती है, लेिकन इससे कई रोिगयों को कोई ला नहीं होता है। लेिकन ददर् और अन्य ल�णोंिमलनेसीप्र अिधक प्रभावशाली सािबह�ई है। अवसाद रोधी Antidepressants अमे�रकन मेडीकल एसोिसयोशन मानता है िक अवसाद रोधी दवाइयाँ FMS के रोिगयों में ददर अवसाद, थकावट, िनद्रा िवकार और जीवन स्तर में बह�त सुधार होता है। ित्रअवसाद रोधी बह�त प्रभावशाली हैं लेिकन इनके कई कुप्रभाव होतक्यों िक ये एड्रीनिजर्क, कॉलीन या िहस्टेिमनिजर्क अिभग्राहक और सोिडयम चेनल्स क�-प्रणाली में छेड़छाड़ करते है सलेिक्टव सीरोटोिनन �रअपटेक इिन्हबीटस (SSRIs) और सीरोटोिनन नॉनइिपनेफ्र� �रअपटेक इिन्हबीटसर(SNRIs) के कु प्रभाव कम होते ह ट्राडोल ट्रामाड के न्द्रीय िक्रयाशील ददर् िनवारक है, जो असामान्य ऑिपऑयड और अवसाद र तरह भी कायर् करता है। यहFMS में मध्यम प्रभावी है। पेरािसटेमोल के साथ यह जल्दी से करता है और इसका असर देर तक रहता है। यह युग्म प्रभावशाली है, सुरि�त है, सहनीय और दो वषर् तक भी सफलतापूवर् िदया जा सकता है। असहनीयता भी उत्पन्न नहीं होती है कोडीन और पेरािसटेमोल के समान प्रभावी है, लेिकन इससे नींद आने और कब्जी क� तक कम होती है तथा NSAIDs के जैसे कु प्रभाव भी कम होते है अस्पमार रोधी FMS में अस्पमा र रो दवा गाबापेंिटन प्रयोग में नहीं ली जाती है। िप्रगा 450 िमिलग्र/िदन क� मात्रा में दी जा सकती हकोच्रेन डाटाबेस के अनुसार इसके प्रयोग कु छ रोिगयों को संतोषजनक फायदा होता है, ज्यादातर को मध्यम और कुछ को कोई लाभ न होता है या कु प्रभाव के कारण दवा बंकरनी पड़ती है।
  • 9. 9 | P a g e डोपामीन ऐगोिनस्ट डोपामीन ऐगोिनस्टजैसे प्रेमीपेक्सोल और रोिपिनरोल से भी कुछ ही रोिगयों को थोड़ा लाभ पाता है। लेिकन बाध्यकारी जुआ खेलना या खरीदारी करना compulsive gambling and shopping) जैसे कु प्रभाव हो सकते है मसल �रलेक्सेंट् साइक्लोबेंजाप्राCyclobenzaprine) एक मसल �रलेक्सेंट् हैं, जो मांस पेिशयों क अकड़न और ददर् में प्रयोग क� जाती है। इस पर बह�त शोध ह�ई हैFMS मे सफलतापूवर्क प्रयोग क� जा रही है िटजािनडीन (Tizanidine) के न्द्रीय िक्रयाशील-2 ड्रीनिजर्क ऐगोिनस् और मल्टीपल िस्क्लरोिसस, स्पािस्टक डायप्लेिजया, कमर ददर्, चोट आिद में पेिशयों क� जकड़न, ऐंठन के िलए प्रयोग क� जाती है। यह भFMS मे सफलतापूवर्क प्रयोग क� जा रही ह व्यायाम FMS में व्यायाम का बह�त महत्व है। इससे म-पेिशयों क� जकड़न और अकड़नदूर होती है, नींद अच्छी आती है और शरीर के प्राकृितक ददर् िनवारक तत्वों का स्राव FMS के िलए तैराक� और जल क्र�ड़ाएं बह�त मुफ�द सािबत ह�ई हैFMS में �रबाउंडर पर उछलना सचमुच जादू क� गोली है। तनाव प्रबंध तनाव और िचंताकु लता से इस रोग के ल�ण तीव होने लगते हैं। इसिलए तनाव कम करना बह�त ज�री है। इसके िलए योग, प्राणायाम, मानिसक शांित, सकारात्मक आत्मदशर्न () या वह भी िजससे आपको शांित िमलती है िनयिमत करें। एक्यूपंचर– शरीर क� सू�म ऊजार् प्रणाली को संतुिलत करती है, और ददर्, जकड़न, एंठन िहतकारी है। स्नेहन massage therapy) - से तनाव कम होता है, र�संचार उ�ेिजत होता है और मांस- पेिशयों क� वेदना कम होती है। प्राकृितक अनुपूर
  • 10. 10 | P a g e ओमेगा-3 फै टी एिसड्स – ये प्रदाह को कम करते हैं और ददर् को भी कम करते हैं। इनका स स्रोअलसी और इसका तेल है। एल-कािनर्टीन– मांस-पेिशयों को संबल देता है। 500 से 2000 िमिलग्राम प्रित िदन लेना है। मेग्नीिशयम और मैिलक एिसड– दोनों हीFMS के कई ल�ण ठीक करने में मदद करते हैं। इन् क्रमशः 200 िमिलग्राम तीन बार और 800 िमिलग्राम एक बार लेना चा एस-एडीनोिसलमीिथयोनीन - या S-adenosylmethionine (SAMe) मन प्रसन्न रखता ह इसे 800 िमिलग्राम एक बार लेना चािहये कै िल्शयम और िवटािम-डी - अिस्थ और मां-पेशी को मजबूत बनाता है। एन.ए.डी.एच NADH (Nicotinamide Adenine Dinucleotide) ऊजार् देता है, 0 िमिलग्रा प्र िदन िलया जा सकता है। क्लोरेला– जो नीली हरी काई (Blue-green Algae) से बनाई जाती है, FMS में मददगार है और इसे वसाका गोल्ड िलिक्वड एक्सट्रे क्ट के साथ िलया जात के ट्स क्लॉ, हलदी और ब्रोमील- ददर् और प्रदाह में पाये गये जड़ी-बूिटयाँ रेड क्लोव (Trifolium pratense - Red clover) – यह ऊजार्दायक और र�ाप्रणा उ�ेजक है। साथ ही यह िवटािमन-बी और सी का अच्छा स्रोत ह पेशन फ्लॉवर Passiflora या Passionflower) – FMS में यह िचंता, तनाव, अिनद्रा आि कई ल�णों में राहत देती है वेले�रयन (Valeriana officinalis - Valerian) – यह FMS के उपचार क� अिग्रम कतार म शािमल है। यह प्राकृितक िनद्रादायक है और -पेिशयों क� वेदना, तनाव और एंठन को कम करती है। साथ ही यह सजकता औक एकाग्रता बढ़ाता है और मिस्तष्क का धुँधला"brain fog") दूर करता है। के मोमाइल (Chamomile) – शरीर और मन का शांत करती है तथा िनद्रादायक है। इसम सेलेिनयम, िजंक और अन्य खिनज होते हैं जो र�ाप्रणाली कोमजबूत करते अ�गंधा –
  • 11. 11 | P a g e िग्रफोिनय ा िसिम्लिफकोिलयGriffonia Simplicifolia) में 5-HTP होता है, जो अच्छा प्राकृितक ददर् िनवारक ह इिकनेिसया (Echinacea) - र�ाप्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण को रोकता है। बच्चों को नहीं देना चािहय बोसवेिलया या शलाक� (Boswellia Serrata) – प्रदाररोधी और द-िनवारक है और FMS में बह�त िहतकारी पाई गई है। ब्लैक करेंट सीड ऑयलBlack currant seed oil) – भी प्रदाररोधी और द-िनवारक है।