शीतपित्त के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
शीतपित्त को साधारण भाषा में पित्ती उछलना कहते हैं| इसमें रोगी के शरीर में खुजली मचती रहती है, दर्द होता है तथा व्याकुलता बढ़ जाती है| कभी-कभी ठंडी हवा लगने या दूषित वातावरण में जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है|
कारण - शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है| वैसे साधारणतया यह रोग पाचन क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है| कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है|
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शीतपिपित को साधारण भाषा मे िपिती उछलना कहतपे है|
इसमे रोगी के शरीर मे खुजली मचतपी रहतपी है, दर्दर्र
होतपा है तपथा व्याकुलतपा बढ़ जातपी है| कभी-कभी ठंडी
हवा लगने या दर्ूषिषतप वातपावरण मे जाने के कारण भी
यह रोग हो जातपा है|
कारण - शीतपिपित पिेट की गड़बड़ी तपथा खूषन मे गरमी
बढ़ जाने के कारण होतपा है| वैसे साधारणतपया यह रोग
पिाचन ियाक्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बादर् गरमी
लगने, िपित न िनकलने, अजीणर, कब्ज, भोजन ठीक से
न पिचने, गैस और डकारे बनने तपथा एलोपिैथी की दर्वाएं
अिधक मात्रा मे सेवन करने से भी हो जातपा है| कई बार
अिधक क्रिोध, िचन्तपा, भय, बरै या मधुमक्खी के डंक
मारने, जरायु रोग (िस्त्रियो को), खटमल या ियाकसी
जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पिित हो जातपी है|
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पिहचान - िपित बढ़ जाने के कारण हाथ, पिैर, पिेट,
गरदर्न, मुंह, जांघ आदियादर् पिर लाल-लाल चकते या दर्दर्ोरे
पिड़ जातपे है| उस स्थान का मांस उभर आदतपा है| जलन
और खुजली होतपी है| कान, होठ तपथा माथे पिर सूषजन आद
जातपी है| कभी-कभी बुखार की भी िशकायतप हो जातपी
है|
नुस्खे - सबसे पिहले रातप को दर्ो से चार चम्मच एक
एरण्ड का तपेल दर्ूषध मे पिीकर सुबह दर्स्तपो के द्वारा पिेट
साफ कर ले| ियाफर छोटी इलायची के दर्ाने 5 ग्राम,
दर्ालचीनी 10 ग्राम और पिीपिल 10 ग्राम - सबको कूषट-
पिीसकर चूषणर बना ले| इसमे से आदधा चम्मच चूषणर
प्रतितपियादर्न सुबह मक्खन या शहदर् के साथ चाटे|
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• िपित्ती वाले रोगी के शरीर मे गेर पिीसकर मले तथा
गेर के पिरांठे या पिुए िखिलाएं|
• गाय के घी मे दो चुटकी गेर िमलाकर िखिलाने से भी
लाभ होता है|
• शीतिपित्त मे िचरौंजी का सेवन करे|
• 2 ग्राम नागकेसर को शहद मे िमलाकर चाटे|
• एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच गेर तथा दो चम्मच
शक्कर - सबको सूजी मे िमलाकर हलवा बनाकर खिाएं|
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• एक चम्मच ित्रिफला चूण र शहद मे िमलाकर कुछ िदनो
तक सेवन करे|
• आंवले के चूण र मे गुड़ िमलाकर खिाने से गरमी के कारण
उछली िपित्ती ठीक हो जाती है|
• 5 ग्राम सोठ तथा 5 ग्राम गेर - दोनो को शहद मे
िमलाकर चाटे|
• नीम की चार िनबौलिलयो का गूदा शहद मे िमलाकर
सेवन करे|
• एक चम्मच अदरक का रस तथा शहद इस रोग मे
काफी लाभकारी है|
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• आधा चम्मच हल्दी तवे पिर भूनकर उसे दूध या शहद
के साथ ले|
• िपित्ती उछलने पिर घी मे हींग को िमलाकर ददोरो पिर
मले|
• पिानी मे नीबू िनचोड़कर स्नान करने से भी काफी लाभ
होता है|
• नािरयल के तेल मे कपिूर िमलाकर मािलश करे|
• सरसो के तेल मे अदरक का रस िमलाकर मािलश करे|
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• 10 गाम गुड़ मे एक चममच अजवायन तथा 10 दाने
पीपरमेट िमलाकर सेवन करे|
• यिद िपती गरमी से उतपन हई हो तो शरीर पर चंदन
का तेल मले|
• आधा चममच िगलोय के चूणर मे आधा चममच चंदन
का बुरादा िमलाकर शहद के साथ सेवन करे|
• पानी मे िपसी हई िफटिकरी िमलाकर सान करे|
• नागर बेल के पतो के रस मे िफटिकरी िमलाकर शरीर
पर लगाएं|
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• थोड़े से मेथी के दाने, एक चममच हल्दी तथा चार-
पांच िपसी हई कालीिमचर - सबको िमश्री मे िमलाकर
चूणर बना ले| सुबह आधा चममच चूणर शहद या दूध के
साथ सेवन करे|
• पटोल, नीम की छाल, ित्रिफला तथा अड़ूसा - सभी 4-
4 गाम लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करे|
• बकायन की छाल को धूप मे सुखाकर पीस डाले| िफर
2 रती इस चूणर को शहद के साथ ले|
भोजन के बाद 6 माशा हिरद्राखण्ड को दूध के साथ
सेवन करे|
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कया खाएं कया नही - साग-सब्जी, मौसमी फल तथा
रेशेदार सिब्जयो का सेवन करे| गरम पदाथर, गरम मेवे,
गरम फल तथा गरम मसालो का प्रयोग न करे| साग-
सब्जी तथा दालो मे नाममात्रि नमक डाले| खटाई, तेल,
घी आिद का प्रयोग कम करे| िपत को कुिपत करने वाली
चीजे, जैसे-िसगरेट, शराब तथा कब्ज पैदा करने वाले
गिरष पदाथर िबलकुल न खाएं| पुराने चावल, जौ, मूंग
की दाल, चना आिद लाभकारी है| प्याज, लहसुन, अंडा,
मांस, मछली आिद शीतिपत मे नुकसान पहंचाते है,
अत: इनका भी सेवन न करे| जाड़ो मे गुनगुना तथा
गरिमयो मे ताजे जल का प्रयोग करे|
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कया खाएं कया नही - साग-सब्जी, मौसमी फल तथा
रेशेदार सियोब्जयो का सेवन करे| गरम पदाथर, गरम मेवे,
गरम फल तथा गरम मसालो का प्रयोग न करे| साग-
सब्जी तथा दालो मे नाममात नमक डाले| खटाई, तेल,
घी आदिद का प्रयोग कम करे| ियोपत को कुपियोपत करने वाली
चीजे, जैसे-ियोसगरेट, शराब तथा कब्ज पैदा करने वाले
गिरष पदाथर ियोबलकुपल न खाएं| पुपराने चावल, जौ, मूंग
की दाल, चना आदिद लाभकारी है| प्याज, लहसुपन, अंडा,
मांस, मछली आदिद शीतियोपत मे नुपकसान पहुंचाते है,
अत: इनका भी सेवन न करे| जाड़ो मे गुपनगुपना तथा
गरियोमयो मे ताजे जल का प्रयोग करे|