2. "वषय सूची
वप श ा म आर ण क नी त 03
प ब ते का बोझ ब च क उ न त म साधक 04
वप ब ते का बोझ ब च क उ न त म बाधक 05
प "व$याथ' जीवन म राजनी त छा* को पथ ,-ट कर दे ती है 07
वप "व$याथ' जीवन म राजनी त छा* को पथ ,-ट कर दे ती है 09
वप नरं तर होता सरल6करण श ा का तर 7गरा रहा है 10
प पुर कार क होड़ ने भर-टाचार को बढावा >दया ह 12
वप पुर कार क होड़ ने भर-टाचार को बढावा >दया ह 13
प मानव जाती क ती@ ग त से उ न त ह6 उसक "वनाश का कारन है
े 15
वप मानव जाती क ती@ ग त से उ न त ह6 उसक "वनाश का कारन है
े 16
प फा ट फ़ड ने जीवन शैल6 को आसान बना >दया है
ू 17
वप फा ट फ़ड ने जीवन शैल6 को आसान बना >दया है
ू 19
प सदन क राय म म>हलाओं का नौकर6 करना पHरवार क लए उपयुJत है
े 21
वप सदन क राय म म>हलाओं का नौकर6 करना पHरवार क लए उपयुJत है
े 23
प भारतीय सं कृ त "वदे शय को Lभा"वत कर रह6 है 25
वप भारतीय सं कृ त "वदे शय को Lभा"वत कर रह6 है 27
प "वदे श म बसने क चाह हर भारतीय का Mवाब 29
वप "वदे श म बसने क चाह हर भारतीय का Mवाब 31
प युवा-अव था फलो भर6 ह तो Lोड-अव था जीवन संघषQ-रत और वदाव था पSचाताप से पHरपूणQ 33
ू ृ
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3. "वषय सूची
वप युवा-अव था फलो भर6 ह तो Lोड-अव था जीवन संघषQ-रत और वदाव था पSचाताप से पHरपूणQ 35
ू ृ
प चापलूसी करो आगे बढो 36
वप चापलूसी करो आगे बढो 37
प पुर कृत 38
वप पुर कृत 40
प दो त -दो त न रहा 42
वप दो त -दो त न रहा 44
प सुLीम कोटQ क फसले से ब चे उUंड हो रहे ह
े ै 46
वप सुLीम कोटQ क फसले से ब चे उUंड हो रहे ह
े ै 48
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4. वप श ा म आर ण क नी त
श ा का ल य है यि त का बौ क, सामािजक आ थक एवम आ याि मक वकास, अथात यि त का सवागीण
वकास #कसी भी दे श का भ व'य उसक व)या थय* क +ान -तर पर 0नभर करता है | रा'1 क उ थान क लए व2व
े े े े
-तर पर 30त -पधा क लए कवल सा र नाग5रक रा'1 का 30त 0न ध व नह6ं कर सकता उसक लए व+ान,
े े े
तकनीक8, च#क क8य उ:च सं-थान करते ह;| हम मानते ह; #क श ा पर सबका अ धकार ह; और होना भी चा>हए
पर?तु उ:च श ा सं-थान* मA समान अ धकार* क8 दहाई दे कर #कसी 0नCन बो क -तर क छाE को कवल
ु े े
इस लए -थान दे ना #क वह समाज क एक व श'ट वग से सCब?ध रखता है , कहाँ तक उ चत है |
े
"अ वल अJला नर उपाया, कदरत क सब बंदे |
ू ु े
एक नूर ते सब जग उपLया, कौन भले कौन मंदे |"
हम सभी बंदे परमा माक एक नर क8 दA न ह; परं तु वभाजन क उपाय हमने -वयं #कए ह; |अंMेज भारत को
े ू े
वभािजत कर गए थे िजसका प5रणाम हमे आज तक भुगतना पड़ रहा है | -वतंEता क इतने वष बाद भी
े
हमारे अपने ह6 नेता श ा का अथ और उPे2य भुला कर उसे जा0त क आधार पर वभािजत करना चाह रहे
े
ह;| श ा आज राजनै0तक तंE क 0न>हत -वाथQ क8 ब ल चढ़ाई जा रह6 है | अभी हमारे दे श क कई प5रवार*
े े
क वे आंशू भी नह6ं सूख पाए ह; जो मंडल कमीशन क8 आग मA सैकड़* वTया थयो क आ मदाह क कारण
े े े
बहे थे| अब सरकार नए Uबल क8 आग सलगाने मA लग गई| वै2वीकरण क िजस दौर से हम आज गुजर रहे
ु े
ह;| इसमA हमA भारतीय* क8 योVयता और +ान क -तर को व2व क सम
े े पेश करते ह;| म; अपने मE* से
पूछना चाहती हूँ #क #कसी बौ क Wि'ट से कमजोर ब:चे को उ:च श ा सं-थान* मA आर ण क कारण
े
3वेश दे कर हम #कस 3कार क भारत को व2व क सम
े े 3-तत करने क8 कामना कर रहे ह; ! आर ण का
ु
होना इस कारण भी 0नरथक स होता है #क पछले कई वषX से चल6 आ रह6 आर ण क8 नी0त क चलते
े
कछ खास प5रवार सामा?य वग से अ धक संप?न हो गए ह; वडंवना यह है #क आर ण क8 नी0त का लाभ
ु
भी इ?हA ह6 मलेगा | श ा सं-थान* मA रं ग, लंग, जा0त आ>द का कोई मह व नह6 होता, उ?हA तो चा>हए
योVयता | योVयता क8 कोई जा0त नह6 होती | चाहे अमीर हो गर6व, सवण हो 0नCन वण, वTया क मं>दर मA
े
वह6 3वेश ले सकता है ,जो इसक8 कसौट6 पर खरा उतरे | -वत?Eता से अब तक सिCवधान मA अनेक सुधार
आ चक ह;, अब आव2यकता है आर ण क8 नी0त मA सुधार करने क8| आर ण आ थक Wि'ट से कमजोर
ु े
वग का होना चा>हए न #क बौ क Yप से कमजोर वग का |िजस 3कार कमजोर Zटो क8 नीव पर आल6शान
इमारत खड़ी नह6ं क8जा सकती ठक उसी 3कार उ:च श ा भी इसक आभाव मA असCभव है |आर ण क8
े
यह नी0त भेद भाव पैदा कर रह6 है | दरकार को चा>हए #क वह आ थक सहायता दे कर पछड़े वग को आगे
बढ़ाए .उ?हA सु वधाएँ दे िजससे वे सCमान क साथ आगे बढ़ सक | अंत मA ,म; यह6 कहना चाहूंगी #क #कसी
े A
अपा>हज यि त को दौड़ मA शा मल करवाने क लए सह6 यि त क पैर कटवाना कहाँ तक उ चत है |
े े
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5. प ब ते का बोझ ब च क उ न त म साधक
'आने वाले सुंदर कल क8 त-वीर ह; ब:चे,
उLLवल उ?नत दे श क8 तकद6र ह; ब:चे'
जी हाँ, आज क ब:चे कल का भ व'य ह; आज का ब:चा कल का नाग5रक बनता है ब:च* क8 परव5रश
े
,उनका रहन सहन -सहन उनक8 श ा का दे श क भ व'य पर सीधा असर पड़ता है जैसे -जैसे युग बदल
े
रहा है वैसे -वैसे ब:च* क8 परव5रश ,रहन -सहन और श ा मA भी प5रवतन हो रहे ह; त^ती से क_यटर का
ं ू
युग आ गया है ब:च* क8 श ा मA भी बढो तर6 हुई और श ा का -तर ऊचा होता गया
ँ
िजस तरह समाज मA आध0नकता क साथ पुराने र60त -5रवाज कभी -कभी बीच मA अंगडाइयां लेकर अपनी
ु े
उपि-थ0त जता दे ती ह; उसी तरह कछ लोग आध0नक श ा को बोझ बता कर 3ग0त मA बाधक बन रहे ह;
ु ु
वा-त वकता तो यह है #क माता - पता , श क ब:च* को ब-ते क िजस Yप से अवगत करायAगे ,वे उसे
े
वह6 समझAगे अब ये उनक उपर 0नभर है #क वे ब-ते को बोझ बनाते ह; या िजCमेदार6 ?बचपन ह6 वह
े
पडाव होता है जहाँ से ब:चे क यि त व और जीवन का -वYप आरCभ होता है जब ब:चा अपनी #कताबA
े
ब-ते मA डाल कर व)यालय जाता है तो वह उसका बोझ नह6 अ पतु उसमA उसक यि त व क8 परछाZ
े
,उसक मां-बाप क सपन* को साकार करने का सामान, समाज क 30त िजCमेदार6 का सफर नामा होता है
े े े
माता - पता का यह सोचना #क ब:चा इतना भार6ब-ता कसे उटाएगाअपने ब:चे को कमजोर बनाने क8
ै
नी0त है , उनका लाड -_यार ह6 उसक8 3ग0त मA बाधक बनता है य>द ब:चे को ब-ता भार6 लगता है तो
उसका समाधान भी है 30त >दन 3योग होने वाल6 प-तक* व)यालय मA संM>हत करक रखA इससे
ु े
प-तक* का बोझ भी कम होगा और उनका रखरखाव भी ट6क होगा
ु
एक तरफ तो माता - पता ब:च* को आध0नक बनाने का 3य न करते ह; ,#फ़र पढाई मA आध0नकता और
ु ु
बदावेका वरोध य*? याद रeखए अ धक +ान क लए +ान क fोत भी अ धक ह*गे, कम +ान क fोत
े े े
से ब:चे आगे कसे बढ़ पाएंगे 3ाचीन काल मA जब व)याथg गhकल मA जाते थे श ा क साथ -साथ उ?हA
ै ु ु े
गह काय भी सखाए जाते थे जंगल से लकडी काटना, पानी भरना आ>द भगवान jी कृ'ण और jी राम ने
ृ
भी ये काय #कए थे इ0तहास गवाह है #क वे महान पुYष हुए लकkडय* क ग तर uताए तो संसार क8
े
वपदाएँ सर पर धर ल6ं, पानी भरा तो संसार क8 वपदाओं को हर >दया
मेहनत का बोझ ह6 मनु'य को सफल और महान बनता है ब:चे को ब-ते क बोझ से डराकर कमजोर नह6
े
बिJक अपनी िजCमेदा5रय* का एहसास कराकर कल का शवाजी, राणा3ताप, ऐ .पी .जी .अnदलकलाम
ु
बनाने का य न क8िजए हर पीडी अगल6 पीडी से यह6 कहती है -...
'हम लाए ह; तूफ़ान से क2ती 0नकाल क इस दे श को रखना मेरे ब:चो संभाल क '
े े
दे श को आने वाले तूफान* से तभी बचाया जा सकता है जब हमारे बाजू और कधे मजबत ह* उन पर
ं ू
व)या धन बोझ नह6 बिJक गांडीव हो
.......................................
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6. ब ते का बोझ ब च क उ न त म बाधक
वप
"बार -बार आती है मझको मधर यादयाद बचपन तेर6
ु ु
गया, ले गया, तू जीवन क8 सबसे म-त खशी मेर6 "
ु
बचपन भी #कतना? सफ़ तीन -चार साल .....बस इधर -कल का ब-ता पीठ पर चढा चड़ाऔर उधर
ू
बचपन eखसका ....... य* हुआ मेरे साथ ऐसा .......? कभी सोचा है आपने .....माता - पता ने
.......अ भभावक* ने ....सरकार ने .......? #कसी ने भी नह6 सोचा उ?हA तो एक पढा - लखा नाग5रक
चा>हए यह दे खने क8 उ?हA आव2यकता ह6 नह6 #क #क भ व'य का नाग5रक कसे पढ़ रहा है ?......कसे जी
ै ै
रहा है ? बचपन क8 नाजक उo मA ह6 मजदर क8 तरह पीठ पर ब-ता लाद लाद >दया और हांक >दया
ु ू
-कल क8 ओर जहाँ भेड़ बक5रय* क8 तरह ब:चे क ा hपी बाढ़े बाढे मA भर >दए गए |
ू
और .............ब:चा रोता रहा ....रोता रहा .........0छन गए eखलौने ....0छन गया बचपन आगया ब-ता
.......आ गयी #कताबA ....और ढे र सारा पाpयqम | क ा पांच और वषय दस ....२० #कताबA और २०
कॉ पयां, दस पाpय पु-तक, दस अuयास पु-तक छोट6 सी जान,छोटा सा शर6र ,भोला मि-त'क और भा
A A
र6 ब-ता |
इस भार6 ब-ते ने हमारा बचपन ह6 छन लया खेलने का व त नह6 मलता, शैता0नयाँ करने क लए भी
े
समय का आभाव है जब कभी क ा मA अ या पका क आने से पहले कछ शरारत करते भी ह; तो उनक
े ु े
आते ह6 डाट खाते ह; पहले अनुशासन पर ले चर सुनते ह; #फ़र पाठ पर .....सब कछ इतना घुल मल जाता
ु
है #क न पाठ समझ आता है न अनुशासन
समय का मह व सभी समझाते ह; -समय पर काय करो ,समय का सदपयोग करो अब आप ह6 दे eखये मेर6
ु
समय सा5रणी -७.३० से १.३० तक -कल मA अथात ६घ?ते -कल मA ,३घ?ते -कल आने -जाने और तैयार
ू ू ू
होने क ४ घंटे -कल का होम वक अथात गह काय क आधा घंटा मE* से बात करने क य*#क होमवक
े ू ृ े े
भूल जाता हूँ आधा घंटा ट6.वी .दे खने का ९घ?ता सोने क लए अब आप ह6 बताईए #क म; कब -खातापीता
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हूँ इस 30तयो गता क लए भी बंक मार कर आया हूँ
े
क ा ५ तक तो सरकार क8 मेहरवानी से पास होता गया जब क ा ६ मA आया तब होश >ठकाने आए #क
मझे तो कछ भी नह6 आता इस ब-ते क बोझ ने न मझे पढ़ने >दया न खेलने ह6 बस इसे लादे रहने क8
ु ु े ु
आदत हो गयी है इसक Uबना मझे अधरापन लगता है यह मेर6 पीठ का साथी बन गया है मझे नीद भी
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तभी आती है जब मCमी पीठ पर वजन रखती है
एक ब:चे का सCपण वकास तभी हो सकता है जब वह -व:छं द वातावरण मA पले- bआढे ब:चे क8 पढाई
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7. क लए आव2यकता है 3ाकृ0तक सौ?दय से प5रपूण वातावरण क8 ,जहाँ पानी क8 कलकल सुने तो
े
प~ य* क8 चहचहाहट भी समझे, जहाँ हवा क8 सरसराहट होऔर फल* क8 महक हो ,ब:च* क8
ू
eखलeखलाहट हो 3कृ0त क नजद6क ह6 वह जीवन क8 पढाई पढे िजससे वह संसार और सि'ट से प5र चत
े ृ
हो ,उसक8 स?दरता से YबY हो
ु
आज क बोeझल वातावरण मA , 30तयो गताओं क8 होड़ मA वह कह6 दब सा गया है आज ब:चे पर सफ़
े
ब-ते का ह6 बोझ नह6 है , उस पर माता - पता क8 आकाँ ाओं का बोझ भी है अ भभावक* क सामािजक
े
-तर को बढाने का उ तर दा0य व भी है इन सब को उसका बाल मन संभाल नह6 पाताऔर वह आगे बढ़ने
क8 अप ा मौत को गले लगाना jेयकर समझने लगता ह6
30त>दन अख़बार* मA दरदशन क व भ?न चैनल* मA इससे सCबि?धत समाचार आते ह6 रहते ह; कह6ं कोई
ू े
ब:चा फल होने पर ऊची इमारत* से छलांग लगा दे ता है तो कोई पंखे से लटक जाता है कोई जहर खा
े ँ
लेता है तो कोई रे ल क8 पट5रयां नाप लेता है ब:चे का जीवन समा_त हो जाता है माता - पता जीते हुए भी
मद€ क समान हो जाते ह; ,ले#कन श ा नी0त बनाने वाल* क कान* पर जंू नह6ं रA गती इन हालात* पर न वे
ु े े
यान दे ते ह; न सरकार
श ा का उPे2य होना चा>हए ब:चे का चा5रUEक वकास करना जो आज #कताबी बातA रह गZ ह; चार*
ओर छाए •'टाचार ब:चे क जीवन को 0नराशा और हताशा से भर >दया है वह 0नि2चत ह6 नह6 कर पाता
े
#क #कस रा-ते पर चले
यह सच है #क वह #कताब* क बोझ क चाबुक से वह अपना रा-ता जJद6 तै कर लेता है ,ले#कन हो सकता
े े
है #क वह मंिजल से पहले ह6 दम तोड़ दे इस लए म; अनुरोध करता हूँ #क इस ओर कछ साथक कदम
ु
उठाए जांए िजससे ब:चे का चहुमुखी वकास हो वह सफ़ +ान क8 मशीन बन कर न रह जाए ब-ते के
बोझ को आप +ान क8 अ धकता समझने क8 भूल न करA -
मेरा शर6र बोझ से दहरा हुआ होगा
ु
म; सजदे मA नह6ं था, तुCहे धोखा हुआ होगा "
.......................................
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8. प व याथ# जीवन म राजनी त छा& को पथ ()ट कर दे ती है
'हम लाए ह; तूफान से #क2ती क,
े
इस दे श को रखना मेरे ब:चो संभाल क '
े
ये पंि तयाँ उनअमर शह6द*क8 ओर कह6 से गयी ह; िज?ह*ने अपना सव-व ब लदान करक भारत को
े
आजाद6 >दलाई उ?ह*ने सोचा था #क हम अपने दे श वा सय* को एक आजाद दे श दे कर जा रहे ह; आगे
आने वाल6 पीडी इस दे श को संभालेगी तथा दे श को उ?न0त कमाग पर ले जायेगी|
े
या सच मA यह6 हो रहा है ? या हम उन शह6द* क8 भावना पर खरे उतरे ह; ? नह6ं ..........आज समाज
क8 हालत दे ख कर डर लगने लगता है आए >दन व भ?न 3कार क घोटाले -कभी चारा घोटाला ,कभी
े
चीनी घोटाला, कभी बोफोस घोटाला 0नत नएनए घोटाल* ने नेराजनी0त को •'टता क8 चरम सीमा तक
पहुंचा >दया है नेताओं क8 मनमानी ने ,उनक लालच ने ,उनक8 अंधी ताकत* क 3भाव ने व)या थय* को
े े
भी इस दलदल क8 ओर मग E'णा क8 भां0त आक षत #कया है व)या थय* क8 नासमझी नेताओक का म
ृ े
आतीं ह; वे अपना उJलू सीधा करने क लए छाE* को भ व'य क सुनहरे सपने >दखा कर उनका दYपयोग
े े ु
करते ह; |
कोलेज* मA होने वाले इले शन इस बात का 3माण है #क आज यवा वग राजनी0त पर लाख* Yपये खच
ु
करता है और करोड* बनता है स य तो यह है #क राजनी0त क बहाने वह कटनी0त सीखता है कब, कसे,
े ू ै
#कसे ब लब ल का बकरा बनाया जाए, सCप0त को कसे हडपा जाए, यह6 सब सीख कर वह अपनी बु
ै
और शि त का दYप योग करता है व)याथg प5रषद मA चने जाने पर उनका जीवन कछ ह6 >दन* मA बदल
ु ु ु
जाता है |
चमचमाती गाkडयां और Uबना मेहनत क मले hपय* से िज?दगी गलत राह पर चल पडती है चमचे छाप
े
लोग* का साथ उ?हA दCभी और अहं कार6 बना दे ता है ये इले शन उ?हA साम, दाम, दं ड, भेद सभी नी0तयां
सखा दे ता है वे छाE जीवन मA ह6 गुंडा गद‚ मA महारथ हा सल कर लेते ह;
स य तो यह है #क राजनी0त का अथ मनमानी या शि त का 3दशन नह6ं है अ पतु 0न-वाथ भावना,
0न'प वचार और ?याय का साथ दे ना है पर?तु अफ़सोस क8 बात है #क आज यह6 बातA असCभव हो गZ
ह;
महोदय, आज छाE जीवन श ा हे तु होना चा>हए वे पहले -वयं को योVय बनाएं तब काय ेE मA 3वेश
करA य*#क अधरा +ान अ+ानता से भी भयानक होता है अंत मA युवा मE* से यह6 कहना चाहूँगा #क
ु
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9. अपने ल य को पहचानो, राजनी0त क लए जीवन मA और भी मौक मलA गे नेता बनो तो दे श क8 भलाई क
े े े
लए न #क -वाथ क लए एक पढा - लखा
े
यि त ह6 एक -व-थ और उ?नत दे श बना सकता है अत; व)याथg जीवन का सदपयोग करो और अपने
ु
जीवन को राजनै0तक 3पंच* से पथ •'ट होने से बचाओ
बात है सीधी मतलब दो,
समझो और समझाने दो
अभी क:चा है मेरा र-ता,
इस पथ को और सजाने दो,
बदल दं गा त-वीर दे श क8,
ू
मझे पढ़ कर आने दो
ु
.......................................
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10. व याथ# जीवन म राजनी त, छा& को पथ ( त कर दे ती है
वप
भला -बुरा न जग मA कोई कहलाता है
भीतर का ह6 दोष, बाहर नजर आता है ,
#कसी को क8चड़ मA कमल >दखाई दे ता है ,
#कसी को चाँद मA भी दाग नजर आता है
आज सCपूण व2व लोकतंE क8 ओर बढ़ रहा है य*#क लोकतंE ह6 #कसी भी दे श अथवा समाज क8
3ग0त क लए 0नतांत आव2यक है इसी से समाजवाद क8 -थापना होती है लोकतंE क8 र ा क लए
े े
अनेकानेक नेताओं ने कवानी द6 है चंƒशेखर आजाद ,भगत संह ,सुख दे व ,राजगh यहाँ तक #क jीमती
ु ु
इं>दरा गांधी ने छाE जीवन से ह6 राजनी0त मA Y च लेनी आरCभ कर द6 थी राजनी0त क गुन सीखने क
े े
लए सकदर ने अर-तु को ,च?ƒग_त मौय ने चाण य को अपना गh बनाया राजनी0त क अनेक चतर
ं ु ु े ु
eखलाkड़य* ने संसार का नेत ृ व #कया ,सह6 >दशा द6 और माग दशन #कया
सरकार ने भी मतदान क8 उo २१ से घटा कर १८ कर द6 छाE जीवन मA राजनी0त का कवल वह6 वरोधी है
े
जो लोकतंE क वरोधी ह; य>द छाE जीवन से राजनी0त न सीखी जाए तो राजनी0त सीखने क8 सह6 उo
े
या है ?राजनी0त मA पनपा •'टाचार भी इस बात का सा य है #क आज -कल राजनी0त मA कम लोग
Y च ले रहे ह; जो आगे चल कर बेहद खतरनाक हो सकता है
इसे Y च कर बनाया जाए ,30तयोगी बनाया जाए ,अ?यथा व2व लोकतंE खतरे मA पड़ जाएगा और
राजत?E अथवा तानाशाह6 से व2व मंच पर हा -हा कार मच जाएगा कछ लोग ह6 3ग0त शील ,अ…†नीय
ु
और 3ेरक ह*गे राजनी0त और लोकतंE एक दसरे क परक ह; दे श 3ेम क8 भावना से ओत 3ोत अनुभव
ु े ू
अथवा कछ सीखने क8 भावना और कछ कर गुजरने क8 यह6 सह6 उo है व2व मA इस बात क अनेक
ु ु े
उदाहरन ह; #क छाE जीवन राजनी0त न सीखने वाले लोग नौ सeखए ह6 रहते है
वतमान समय को अ भशा पत करने वाले लोग आतंकवाद ,भाई -भतीजावाद एवं समाज मA पैदा होने
वाल6 अनेक या धय* को ज?म दे ते ह; य*#क इ?ह*ने कभी भी 0नय मत कोई सीख ,+ान ,अनुशासन
और सहनशीलता सीखी ह6 नह6|आज हमारे पास अ:छे डॉ टर ,वै+ा0नक ,3शासक उपलnध ह; ,कमी है
तो कवल अ:छे नेताओं क8 िजनक आभाव मA हमारा जनतंE खतरे मA है आज राजनी0त मA -व-थ ,सुंदर
े े
, श'ट आचरण क8 कमी है आए >दन संसद मA होने वाले अशोभनीय आचरण हमA इस बात क लए 3े5रत
े
करते ह; #क आज व)यल* मA अ:छे नेता बनाने का भी कोस शा मल #कया जन चा>हए िजससे रा'1 को
युवा ,होनहार ,30तभाशाल6 और आदशमय कणधार मल सक ,तभी रा'1 का भ व'य सुखमय और
े
उLLवल हो सकगा कबीरदास ने कहा है _
े
"आचर6 सब ज मला, वचार6 मला न कोय
को>ट आचर6 बा5रये, जो एक वचार6 होय"
.......................................
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11. नरं तर होता सरल0करण श ा का तर 1गरा रहा है
वप
"अभी तो सहर है , जरा सुबह तो होने दो,
अभी तो आगाज है , अंजाम य* सोचने लगे"
>दन ब >दन श ा का बदलता -वYप अपने साथ कईकई ववाद लेकर आता है आर ण का ,कभी
पर6 ाओं का ,कभी भाषा का एसा ह6 एक ववाद हमार6 आज क8क8 वाद ववाद 30तयो गता का शीषक
बन कर हमारे सCमुख आया है #क 0नरं तर होता सरल6करण श ा का -तर गरा रहा है jोताओ ,म; इस
बात से कतई कतई सहमत नह6 हूँ बदलाव तो 0नय0त का 0नयम है ,#फ़र हर सद6 मA मA कोई न कोई
बदलाव तो होता ह6 है ले#कन िजस बदलाव को समाज मा?यता दे ,जो सबक >हत क लए हो ,उसे
े े
नकारना य* ?
हर चीज क दो पहलू लू होते ह; मन'य क8 3व0त यह6 रह6 है #क वह गलत चीज को जJद6 Mहण करता है
े ु ृ
इस लए आव2यक है #क सह6 hख को व-तार से जाना जाए सरल6करण से हमA अनेक लाभ हुए ह; -
व)या थय* क8 पढाई मA Y च बढ़ना | जो व)याथg श ा ज>टल होने क कारण ण श ा से जी चराते थे
े ु
,अब उनका पढाई मA मन लगाने लगा है उनमA 30त-पधा करने का उ साह भी जाMत हुआ गा है
पढना आसान होगया है ,यह जानकर Mामीण भी आगे आएँगे वे पढाई मA अपनी Y च >दखाएंगे ,िजससे
सा रता का 3चार भी बढे गा और आ थक ेE मA उ?न0त भी होगी सरल6करण क अंतगत पाpयqम मA
े
अनेक सुधार #कए गएिजससे व)याथg को पढ़ने मA सु वधा हुई उन पर पढाई बोझ न पडे िजससे वे
उदासीन हो जाएँ उदासीनता क कारण कछ व)याथg अपनी जीवन ल6ला समा_त कर लेते ह; ,या पढाई
े ु
छोड़ कर गलत रा-ते पर भटक कर अपना जीवन तथा अपने अ भभावक* क8 उCमीदे दांव पर लगा दे ते ह;
य>द सरल6करण न होता तो रामायण और महाभारत जैसे M?थ सं-कृत मA ह6 पढे जाते तो सबक8 समझ
मA न आते #कतने ह6 आयुव>दक नु-ख* ,शा-E* से हम अप5र चत ह6 रह जाते
€
सरल6करण से बेरोजगार6 क8 सम-या भी कछ हद तक हल होगी ७०% अंक लाने वाले व)याथg ८०-
ु
९०%अंक से उ तीण ह*गे और नौकर6 क अवसर बढA गे
े
आप ह6 बताईए सरल6करण क इतने लाभ होने क बावजद उसे नकारना कहाँ क8 समझदार6 है ? य* कछ
े े ू ु
लोग श ा क -तर का बहाना बना कर व)या थय* पर मायूसी और परे शा0नय* का बोझ डालना चाहते ह;
े
?कछ लोग नह6 चाहते #क आज का व)याथg आ म व2वास क बल पर िज?दगी मA आगे बढे वे आज क
ु े े
युग मA भी लक8र क फक8र बने बैठे ह; मेरे वप ी मE का कहना #क सरल6करण से व)याथg मेहनती
े
नह6 रहे ,गलत है मE सरल6करण तो एक डोर है िजसक सहारे व)याथg जीवन मA आगे बढ़ सकता है
े
आज क इस तेज र‡तार क युग मA सरल6करण व)याथg क लए वह मे1ो -रे ल है िजसक सहारे उसका
े े े े
जीवन सरलता ,सुगमता से अपनी मंिजल 3ा_त कर सकता है |
आज हमारा दे श हर ेE मA 3ग0तशील है #फ़र श ा के ेE मA य* पछडे? य* वह6 क से कमल पर
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12. अटक रहA ,क से कमयोगी भी होता है स:चा कमयोगी वह6 होता है जो सरल6करण को अपनी वैसाखी नह6
े
अ पतु अपना नया ह थयार बना कर कम ेE मA वजय 3ा_त करे |गीता का उपदे श भी यह6 कहता है #क
कम करो ,फल क8 इ:छा मत करो |
सरल6करण क8 इस नई नी0त क साथ ह6 हम नए युग से जुड़ सकगे
े A
"आज पुरानी जंजीर* को तोड़ चक ह;
ु े
य* दे खA उस मंिजल को जो छोड़ चक ह;
ु े
नया दौर है , नई उमंगे, अब है नई कहानी
युग बदला, बदलेगी नी0त, बदल6 र60त परानी " ु
.......................................
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13. पुर कार क होड़ ने भर)टाचार को बढावा 7दया ह
प
उथल6 होती जा रह6 है ,
आदमी क8 आ मा,
यह6 ह; वेह सम-या जो,
सबसे अ धक कचो)ती है .
भ'टाचार पर-कार* क8 दे न बन गया यो#क आज उसक8 0नय0त मA फक आ गया है . हर वह चीज़ वेह 3ा_त
ु
कर लेना चाहता है िजसक वह योVय नह6 है . इसक लए वहसाम,- दाम, दं द-भेड़ #कसी का भी पयQग करने
े े ु
क लए -वतंE है . हर यि त इसबदती 30तयो गता क8 और वैसे ह6 बढता जा रहा है जैसे पतंगे शमा क8
े
और बड़ते है और अपने पंखो को जला बैठते ह; . . एकाध ह6 पतंगा ऐसा होता है जो शमा का सामना कर
सक.
े
आज eखलाड़ी शि त-वधक दवाइयो का 3 योग कर या ग़लत तर6का अपना कर इन 30तयो गताओ को
जीतना चाहते ह;. नतीजा अपमान और शम को ओड़ना पड़ता ह;.
एक कहावत ह; “हर चमक8ल6 वा-तु सोना नह6 होती “ यह6 चमक यि त को गुमराहकर दे ती है इसका
मु^या कारन है – आ म –vishwas और ƒण 0न2चय क8 कमी . य>द यि त को अपने ऊपर व2वास हो
तो और उसक मन मA Wढ़ता हो तो ये चमकते मैडल -वयम उसक पास आ जायAगे .
े े
आज भ'टाचार क8 मार झेल रहा समाज इस बात क8 3ेरणा दे ता है Uबना ग़लत ता-ताअपनाए काम हो ह6
नह6 सकता. इसी सोच ने लोगो को भर'टाचार क रा-ते पर धकलाहै .इसमे सहायक बनी है बदती
े े
30तयो गता और बड़ते पुर-कार .
आज कला, सा>ह य, व+ान आ>द क लए भी व भन ् पुर-कार* क8 घोषणा क8 जातीहै . #कतने उ चत
े
यि त इ?हA 3ा_त करते ह; ?आए >दन होने वाले वरोध इस बात को 3माeणत करते ह; #क कह6ं न कह6ं
कछ गडबड है | व2व -तर पर ये 30तयो गताएँ पारदशg होती ह; ,इस लए 30तयोगी गलत काम करते
ु
पकड़े जाते ह; |
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14. पुर कार क होड़ ने भर)टाचार को बढावा 7दया ह
वप
पर-कार #कसी यि त क यि त व को , कायQ को , रचनाओ को , शैल6 को 0नखारने का काय करता है . दसरे शnद*
ु े ु
मA कहू तो मA कह सकती हु क8 पर-कार #कसी यि त को उसक अ:छे कायQ क लए 3ो साहन -वhप >दया जाता ह;.
ु े े
सदन क मत से ये पर-कार ह6 भर'टाचार का कारन ह;. मA इसे सरासर ग़लत मानती हु . . पर-कार तो यि त मA
े ु ु
-व-थ 30तयो गता क8 भावना जगाते ह;. य>द ऐसा न होता तो पर-कार* क8 पड़ती समा_त हो गई होती. आज
ु
पर-कार* क8 सीमा घर, प5रवार और रा'1 तक ह6 स मत नह6 है . ये सीमाओं को लाँघ चुक ह;. चाहे ये खेलो मA मलने
ु े
वाले पर-कार हो, या श ा , सा>ह य, व+ानं या समाज सेवा से सCभं>दत हो. इन पर-कार* ने यि त को व2व
ु ु
-टार पर लाकर खड़ा कर >दया है . इन पर-कार* क 30त लोगो क8 चाहत #कतनी अ धक हो गई है और उसक लए इन
ु े े
पर-कार* को 3ा_त करना उनका उPे2य बन गया है .
ु
शाि?त, व+ानं. सा>ह य और अथशा-E पर मलने वाले नोबल –पर-कार ने यि त को रा'1 का ह6 नह6 बिJक
ु
व2व का सवjे'ट -थान 3दान #कया ह;. सोभाVयशाल6 है वे लोग िज?हA ये पर-कार मले ह;. इस पर-कार क8 कामना
ु ु
करना और इसक लए पयटन करना , अपराध तो नह6. अपराध तो तब होगा जब लोगो को इससे वं चत कर >दया
े
जाएगा. खेलो क शेEो मA ओलं पक मA मैडल 3ा_त करना हर eखलाड़ी का सपना होता है . इसक लए पयटन करना ,
े े
या ग़लत है . ..
लोग चाँद और सरज मA क मया दे ख लेते ह;. उजा का -तोE सय भी लोगो को भीषण गमg से तपा दे ता ह;. सखे का
ू ू ू
कारन बनता है . इसका मतलब यह तो नह6 क8 सय का मह व कम हो जाएगा. शीतल चांदनी और शाि?त दे ने वाला
ू
चाँद भी लोगो को 0नगाह* मA कलं#कत है . इससे उसक8 शीतलता मA कमी नह6 आती. यह6 मेरा मानना है क8 भ'टाचार
का सहारा लेकर इन पर-कार* को द ू षत न #कया जाए . पर-कार यि त क8 30तभा को दशाते ह;. उसे मान, सCमान,
ु ु
यश, धन, क80त उसे सब 3दान करते ह;. #फ़र उसे भ'टाचार का कारन मानना कहाँ तक उ चत है
•'टाचार पनप रहा है - लोगो क8 0नय0त मA , उनक8 सोच मA , उनक8 भावना मA , उनक कायQ मA , यव-था मA , -वाथ मA .
े
और इसक लए कलं#कत #कया जा रहा है पर-कार* को. यह सच है क8 इन पर-कार* को 3ा_त करने मA यि त अ>द-
े ु ु
चोट6 का जोर लगा दे ते ह;..साथ ह6 कछ ग़लत ह कदो को भी अपनाते ह;. अतः. आज जhरत है चु-त-दh-त रहने क8 .
ु ं ु
इस •'टाचार Yपी धुन से बचने क8 अ?यथा यह धुन एक >दन सारे मैडल सारे पर-कार चाट कर जाएगा.
ु
मेरे सा थयो ने •'टाचार क8 बहुत सी misaale पेश क8 है . . या कह6 भी यह स होता है क8 •'टाचार क प:छे
े
पर-कार* का हाथ ह; . पर-कार तो उस Œव तारे क8 तरह है जो ि-थर रहकर सब को >दशा >दखाते ह;. सबक8 योVयता
ु ु ु
का मा_द?द होते ह;.
ु
यह सच है क8 पर-कार सफ़ एक मैडल या 3श सत पाE नह6 होता , वह यश , धन , समान का सचक और व-तारक
ु ू
होता ह;. , यह6 लालच , यह6 पाने क8 चाहत ह6 तो यि त को क:छ कर गजरने क8 3ेरणा दे ती है . यह अलग बात ह; क8
ु ु
लोग इसे ग़लत ढं ग से 3ा_त करने क8 को शश करते ह;. इसे आप •'टाचार कहना चाहे तो कह सकते ह;.
ह6रे क8 अगर चमक Lयादा ह; , क8मत Lयादा है तो इसमे ह6रे का या दोष . . 3ाचीन काल से ह6 पर-कार* का 3चालन
ु
रहा ह; . raaja -महाराजा 3सन होकर पर-कार >दया करते थे. आज पर-कार* का Yप बदल गया है , उनका 3चालन
ु ु
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15. नह6 बदला बिJक उनक8 सं^या और शेE बाद गए है . यह बात ये पमा0नत करती है क8 पर-कार* का परभाव >दन-
ु
30त>दन बढता जा रहा है . अब यह अलग बात है क8 सम?ƒ मंथन से #कसी को अमत मलता है तो #कसी को वष .
ु ृ
अथात #कसी को पर-कार मलता है तो #कसी को •'टाचार का अपमान.
ु
•'टाचार वषबेल क8 तरह होता है . जो सफ़ वनाश करता है ----------- सफ़ वनाश .
•'टाचार यव-था मA या_त ह;., •-ताचार सोच मA या_त ह; , इ'या , )वेष , और -वाथ मA या_त ह;. य>द शी• ह6
इन भावनाओ पर 0नयंतरण न #कया गया तो 0न2चय ह6 यह •'टाचार hपी wishbale इ?हे भी अपने घेरे मA लपेट
लAगी.
अभी ओलं पक मA हमA सफ़ एक मैडल मला . हम सभी को 0नराशा हुई यो#क हम सभी इसक लए पयाfत थे . कह6
े
कछ कमी रह गई. य>द भ'टाचार से मैडल मलते तो हमA अव2य ह6 कछ तो मैडल और मल ह6 गए होते यो#क
ु ु
•'टाचार मA तो हमारा दे श काफ़8 आगे ह;.
काश/------ऐसा होता तो हम भी कछ और पुर-कार पा जाते..
ु
.......................................
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16. मानव जाती क8 तीŽ ग0त से उ?न0त ह6 उसक वनाश का कारन है
े
प
‘कह रहा यह सां य र व ढलता हुआ,
यो सदा चढ़ कर उतरना है अटल ,
फल चढ़ तh क शखर पर हं स >दया ,
ु े
अंत मA तो धल का आँचल मदल.’
ु ृ ु
सCपूण जगत इस बात से प5र चत है क8 ज?म , वकास और म ृ यु शा2वत है , अटलहै , ले#कन इस
शा2वता मA तीŽता तब और भी Lयादा आ जाती है जब वकास औरउ?न0त क8 ग0त तेज हो जाती है .
िजतनी तीŽ ग0त से चलA गे उतनी ह6 जJद6 मंिजलको 3ा_त करA गे-------. मंिजल 3ा_त होने पर मनु'य* के
वचार* मA प5रवतन आता है .यह प5रवतन दो3 कार का होता है . १-इस भो0तक शर6र को भो0तक साधन*
से सखपहुचाने क8 लालसा और २-आदमी क8 चेतना को बदलने क8 लालसा. व+ानं मनु'य*क सख –
ु े ु
साधन* पर यान दे ता है तो धरम मन'य क8 चेतना पर . व+ान तीŽ ग0त से उ?न0त करता है िजसका
ु
सहारा मानव जाती ने लया है . वेह तीŽ ग0त से वजय क8और बढता है और वजय क उ?माद से भोग-
े
वलास क8 और मुड़ता है . नै0तकता और मानवीय मJय* से गर जाता है . और यह6 से उसका पतन 3hCभ
ू
हो जाता है .
गाँधी –जी ने कहा -भोग और वलास से सजन नह6 होता , तप – याग क साथ ह6 सजन का 5र2ता है . भोग
ृ े ृ
– वलास का रा-ता तो पतन क8 मंिजल तक पहुचने क लए अ भश_त है .
े
रोम और उनां का वकास िजस तीŽ ग0त से हुआ उतनी ह6 तीŽ ग0त से वनाश हुआ .इस तीŽता मA एक
अवगण यह भी नज़र आता है क8 तीŽता मA सोच क8, उसकद'3भाव* को न समझ पाने क8 , सावधा0नय*
ु े ु
क8,सावधा0नय* क8 कमी रह जाती है |कहा गया है "जJद6 का काम िज?न का " अथात उसमA गहन
च?तन क8 कमी होती है | इस लए तीŽ ग0त से #कया गया वकास जJद6 ह6 वनाश क कगार पर पहुंच
े
जाता है |
ताश क प त* का महल िजतनी जJद6 बनता है उतनी...
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17. मानव जाती क ती8 ग त से उ न त ह0 उसक वनाश का कारन है
े
वप
तीŽ ग0त से क8 गई उ?न0त 3ग0त का सचक है । धीरे -धीरे क8 गई उ?न0त , उ?न0त नह6 प5रवतन
ू
कहलाती है । जो समय क8 ग0त क साथ होना 0नि2चत है । मानव जाती ने जब प5रवतन का बीडा उठाया है
े
अपने को उ?न0त क शखर पर पहुचाया है । यह उसक8 सोच और कमठता का ह6 प5रणाम है । तीŽ ग0त
े
से ह6 उ?न0त क8 जा सकती है यो#क धीरे -धीरे क8 गई उ?न0त से उसमे अवन0त क त व अपने पैर फला
े ै
लेते है । यह मनो- व+ा0नक स य है क8 मानव उ?न0त क8 और उतनी जJद6 अMसर नह6 होता िजतनी
जJद6 अवन0त क8 और । समय भी धीरे नह6 चलता वह 0नरं तर आगे बढता रहता है । समय क साथ
े
चलना उ?न0त है । आज मनु'य क8 आयु इतनी कम है क8 वेह सोच - वचार* मA समय बरबाद नह6 कर
सकता।
#कसी भी काय क8 इPा इस बात मA नह6 है क8 वेह #कतनी दे र मA हुआ । बिJक इसमे क8 वेह #कतनी जJद6
हुआ . तीŽ ग0त से उ?न0त पतन का कारण नह6। पतन है मन'य क8 सोच . मन'य भो0तक वाद क8 और
ु ु
बाद गया है . उसने नै0तक मJय* का याग कर >दया है . और यह6 उसक पतन का करना है . ओशो ने कहा
ू े
है – भो0तक सख का सबसे मह वपण योगदान यह है क8 वेह अ0नवाय Yप से ववाद क8 और ले जाता है ।
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यह6 मानव जाती क वनाश क कारन है ।
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मनु'य ने व+ानं से, व)युत से , और उजा से #कतनी 3ग0त क8 है । #कसी से छपी नह6। ये मानव जाती
ु
क लए वरदान है । वनाश क लए उतरदायी है - मनु'य क8 -वाथQ और भोग ल_सा क8 3 व0तया , दसरो
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क अ धकार* क हनन क8 आदत, अंहकार क8 भावना , और अकCदयता । ये 3 व0तया वनाश क कारन है ।
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इ?हे बढावा दे ती है -स ता और सCप? ता । सता और सCप? ता उस पानी क सामान होती है जो नौका क
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बहार रहता है तो नौका को शि त पदान करता है और उसक तैरने का साधन बनता है #कंतु जब यह6 पानी
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नौका क अ?दर आ जाए तो नौका क डूबने का कारन भी बनता है ।
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3ग0त से तो मनु'य ने 3क0त और अलौ#कक स ता क रह-य* से भी परदा उठा >दया है ।
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18. फा ट फ़ड ने जीवन शैल0 को आसान बना 7दया है
प ू
कम फा-ट -----------------गो फा-ट ------------------दो फा-ट ---
आज क8 जीवन शैल6 ह6 यह6 है –सब कछ फा-ट । इस भागम-भाग क8 िजंदगी को य>द#कसी ने आसान
ु
#कया है तो वह है फा-ट –फ़ड अथात जJद6 तैयार हो जाने वालाभोजन । भोजन भी वह जो ताजा और
ू
-वा-•यवधक भी हो । हा वेह, यह6 है आज आसन फा-ट- फ़ड िजसने हमार6 िजंदगी को सुकन >दया है ।
ू ू
अ?य था भूखे रहकर कब का युवा –वग अि?तम साँसे गन रहा होता ।
आज क_यटर का युग है । हर काय भी उसी ग0त से हो रहा है । सच मा0नए आज #कसको फसत है जो आज
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खाना भी कोई आराम से खा सक । बनाने क8 तो कौन सोचे ।सुबह उठकर ज़रा बहार झाँक कर तो दे eखये --
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----सूय क8 #करन* क आगमन से पूव ह6लोग बस* क इि?तज़ार मA खड़े होते ह; । ब:चे -कल बैग लए बस
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क इि?तज़ार मA 0नंद6आंख* से हाथ मA पकड़ा स;ड - वच खाते नज़र आएंगे । स;ड- वच जायAगे . या करे
े
.स;ड वच , बेग€र, मVगी आ>द खा)य पदाथQ ने ह6 तो उ?हA सहारा >दया है । आज #कस माँ को इतनी फसत
ु
है क8 जो सुबह उठकर परांठे भी बनाए और -वयम भी काम पर 0नकले । वह भीइंसान है कोई मशीन नह6 ।
और---आप तो जानते ह6 है क8 -वा-•य क लए परांठे #कतने अ-व-•य- करक है . वजन भी बढाते है और
े
बीमा5रय*को भी आमंEण भी दे ते है . ऐसे मA एक ह6 सहारा है फा-ट –फ़ड .
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यथानाम तथो गुन: . फा-ट फ़ड यानी जJद6 तैयार होने वाला ,जJद6 खाए जाने वाला खाTय पदाथ | जो
ू
कह6ं भी ,कभी भी ,कसे भी खाया जा सक | न _लेट क8 जYरत ,न कटोर6 क8 ,न चCमच क8 |एक पेपर
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नैप#कन ह6 पया_त है |#कतना अ:छा है यह भोजन ,न हाथ गंदे न कपड़े गंदे |
म; आज भी याद करता हूँ वे >दन जब दल -चावल या सnजी -रोट6 खाते समय कछ न कछ कपड* पर गर
ु ु
ह6 जाता
कभी हाथ पीले कभी कपड़े पीले हो जाते ,कभी -कभी कौपी #कताब* पर भी यह रं ग >दखाई दे ने लगता |#फर
माँ का असर मझ पर |#कतनी मसीबत थी कछ भी खाना और कह6ं ले जाना |
ु ु ु
फा-ट फ़ड ने हमार6 >दन चया को फा-ट बना >दया है ,बस यूँ समझो चाट मंगनी -पट शाद6 अथात थोड़े ह6
ू
समय मA खाना तैयार |चाहे जब बनाए और खाएँ |
एक जमाना था जब घर क8 म>हलाएँ अ धकतर समय #क चन मA ह6 Uबताती थी ,उनक हाथ* से कपड* से
े
मसाल* क8 खशबु आती ह6 रहती थी |
ु
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19. आज माँ भी खश और म; भी खश |माँ को रसोई मA खतना नह6 पड़ता और हम भी पारCप5रक खाने से बच
ु ु
जाते |
आज म>हलाए रसोई को छोड़ आगे बढ़ चक8 है , उनक हाथ* मA पु-तक और फाएले
ु े े
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20. फा ट फ़ड ने जीवन शैल0 को आसान बना 7दया है
ू
वप
"बदले-बदले से आसार नज़र आते है ,
अब तो जगह-जगह मुझे फा-ट-फ़ड खाते
ू
बीमार नज़र आते है ।"
ये फा-ट फ़ड । इ?होने तो हमार6 जीवन शैल6 को ह6 बदल डाला है । बदल या, न'ट ह6 कर डाला
ू
है । भारतीय खान -पान क8 शैल6 को पथ-•'ट ह6 कर डाला है । दर कर >दया है यवाओ को ममता क8 ठं डी
ू ु
छाओ से ।
कहते है क8 >दलो क रा-ते पेट से होकर जाते है । माँ ब:चे को दलारती है , पचकारती है ,तब उसे अपने हाथो
े ु ु
से बना -वा>द'ट, -वछ मखन वाला परांठा eखलाती है । पर?तु अब ब:चा मांगता है मैगी िजसमे सवाय
मैदा क और मसाल* क कछ नह6 । भला पैकट मA बंद चीज* मA माँ क8 ममता कसे समाएगी।
े े ु े ै
हमारा दे श कृ'ण भगवन का दे श है । जहाँ उ?हA माखन-चोर भी कहा जाता है । वह मटक8 से माखन और
दह6 चरा-चरा कर खाते थे पर?तु अब कृ'ण क8 धरती पर ब:चे खा रहे है - पLजा, बगर, नुडJस । ये कसी
ु ु ै
जीवन -शैल6 है । जहाँ आराम से बैठकर खाने का समय नह6 है । पहले ज़माने मA पुरा प5रवार बैठ कर
आराम से भोजन खाता था ।िजससे उनका आपसी 3ेम बढता था ।
पर?तु आज फा-ट-फ़ड क कारन युवा पीडी घर का खाना खाने से कतराती है । औरकामकाजी पुYष और
ू े
म>हलाये भी हJका-फJका खाक-कर चले जाते है और #फ़र कट6नमA खाते है फा-ट-फ़ड।
ु ; ू
हाँ | जीवन तो आसन हो गया है यो#क रसोई घर मA कम समय दे ना पड़ता है ।पर?तुमेरे मE । पूवg और
पि:छमी सuयता का सं-कार6 अ?तर य>द अ धक है तो वह हमार6रसोई और भोजन -शैल6 क कारन।
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भारतीय प5रवार रसोई घर को मि?दर मानते है ।उसक -वाद और पेट को ति_त घर क भोजन से ह6 मलती
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है ।
फा-ट-फ़ड से नु सान भी झेलने पड़ते है । जhh नह6 क8 बहार का खाना हमेशा साफ़ ह6 हो । ऐसा न होने
ू
पर पेट ख़राब हो जाता है । बासी खाना खाने पर फ़ड-पोइ स0नंग होजाती है अथात खाना वष- वाट हो
ू
जाता है । िजतने का खाना नह6 होता उससे Lयादा डॉ टर को दे ना पड़ता है । और जान क लाले पड़ जाते है
े
वो अलग। हमारा दे श तो व भन ् 3ांतीय -पकवान* का दे श है । यहाँ व भन ् 3 कार क यंजन बनते है ।
े
हमA अपने दे श को फा-ट-फ़ड का गुलाम होने से बचाना है । यो#क पेट और िज यहा आपसी शEु है । जीभ
ू
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21. सफ़ -वाद मांगती है और पेट ति_त । -वाद लालची है और ति_तमो
ृ ृ लालच को छोड़ो और त'णा को
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अ?न क अमत से त_त करो ।
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यह समझो और समझाओ,
फा-ट -फ़ड से ख़द को बचाओ,
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भई दाल-रोट6 खाओ,
3भु क गुन गाओ.
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22. सदन क राय म म7हलाओं का नौकर0 करना प@रवार क लए उपयुBत है
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प
क7ह व1ध रचो नार0 जग मा7ह
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पराधीन सपनेहु सुख नह0
स>दय* से नार6 ने द-ताक8 िजंदगी जी है । बचपन मA पता क अधीन रहना पड़ा ,तो युवा -अव-था मA प0त
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क अधीन व ् वदा-अव-था मA पुE क अधीन। यह दासता उसे आ थक Yप से 0नभर न होने क कारन भोगनी
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पड़ी । इतनी लCबी गुलामी तो #कसी गुलाम ने भी नह6 सह6 होगी। आज २१ व शताnद6 मA जाकर नार6 ने
-वतंEता क8 साँस ल6 है । वह आ थक Yप से -वतंE हुई है । उसक8 इस -वतंEता से न सफ़ उसे सुख मला
है बिJक सCपूण प5रवार सुख का अनुभव कर रहा है । ब:चे अपनी मनमानी कर सकते है तो बजुग भी
ु
आराम क8 िजंदगी जी रहे है ।
-Eी मA भगवान ् ने धय, याग का भाव इतना भरा है क8 उसने कभी अपने सुख का यान नह6 रखा िजतना
प5रवार का । प5रवार का सुख ह6 उसका अपना सुख है । आ थक Yप से संपन माँ ह6 ब:चो क अरमानो को
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पुरा करती है । प5रवार क लए सुख का साधन जुटती है । तो साथ ह6 प0त को आ थक भागीदार6 करक
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प5रवार क भोझ को ध*ने मA सहायक होती है
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शY मA कछ शेE* मA ह6 म>हलाये काय कर रह6 थी ले#कन आज कोई भी शेE ऐसा नह6 है िजसमे नार6 ने
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अपनी योVयता से अपना स का न जमाया हो। आज वह श ा, च#क सा, व+ानं तक0नक8 मA ह6 नह6 ,
सेना , वायु सेना गोताखोर भी है । तो अ?त5र मA भी अपने कदम रख चक8 है ।
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नार6 दे खने मA िजतनी कोमल होती है उतनी ह6 उसक8 मान सक शि त अ धक होती है । वह प0त क साथ
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चलने मA गव महसूस करती है । ब:चो क पालन पोषण को भी वह गव से करती है । सCपूण सि'ट को ममता
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और _यार का पाठ पदाने वाल6 नार6 ने ह थयार उठाने से भी परहे ज नह6 #कया । यवसाय क शेE मA जहाँ
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भी उ?ह*ने कदम रखा उसे _यार , -नेह , शाल6नता और -वछता से मंkडत कर >दया है ।
आज लोग वहां काम करना पसंद करते है जहाँ क8 मु^या-3बंधक म>हला हो। ऐसे -थान पर यव-था तो
अ:छ होती ह6 है और उसमे नार6 ज0नत _यार और -नेह क8 ग5रमा भी होती है । नार6 व भन ् शेE* मA काय
कर रह6 है ले#कन उसका 3य शेE प5रवार ह6 है जहाँ वह वा सJय से ,_यार से, ममता से प5रवार को
सींचती है । जब कभी आ थक तंगी होती है तब िजतनी तड़प , िजतना दद नार6 को होता है उतना #कसी को
नह6 होता । खशी क8 बात यह है क8 वह आ थक Wि'ट से समथ है । नौकर6 करक वह इतनी समथ हो गई है
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क8 प5रवार को आ थक तंगी से बचा लेती है । इससे उसका आ म- व2वास बढता है । और समाज मA
सCमान मलता है । समाज ने उसक8 योVयता से लाभ उठाया है । इससे समाज और रा'1 का उ थान हुआ
है .
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23. कोई भी प5रवार तभी आध0नक समय मA सुख और सCपनता से रह सकता है जब प0त प नी दोन* काय
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करते हो। बदती मंहगाई और भौ0तकवाद क8 बदती मार मA आज नौकर6 करना अ0नवाय हो गया है । समथ
नार6 ह6 आगे बाद सकती है और समाज को आगे बड़ा सकती है । और प5रवार को आगे बड़ा सकती है .
आध0नक समय मA म>हलाओं क 30त होने वाले अ याचार* ने >हला कर रख >दया है । कह6 दहे ज़ क लए
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उ?हA जलाया जाता है तो कह6 ब:चे न होने पर घर से 0नकाल >दया जाता है । कह6 मार-पीट कर घायल कर
>दया जाता है । तो कह6 उसे मान सक यातनाएँ दे कर उसे आहात #कया जाता है । ऐसे हालातो मA नार6
नौकर6 नह6 करे गी तो उसका जीवन नरक बन जाएगा । वह डर- डर ठोकरे खाने क लए मजबूर हो जायेगी
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। अततः मA यह कहना चाहूंगी क8 आज क युग मA नौकर6 करना नार6 क लए अ0नवाय है । इससे प5रवार
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संभलता है Uबगड़ता नह6।
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24. सदन क राय म म7हलाओ का नौकर0 करना प@रवार क लया उपुBत ह
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वप
नार6 तुम कवल jदा हो, व2वास रजत नभ पग तल मA
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पयष -तोE सी बहा करो, जीवन क संदर तल मA
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भारत क8 नार6 का नाम सुनते ह6 हमारे सामने 3ेम, कhना, दया , याग और सेवा-समपण क8 म0त अं#कत
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हो जाती है । नार6 क यि त व मA कोमलता और स?दरता का संगम होता है । वह तक क8 जगह भावना से
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जीती है । इस लए इसमे दया कhना, ममता , याग क गुन अ धक होते है । नार6 वह शि त है जो यि त
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को जनम दे कर उसका पालन-पोषण करती है । और उसे जीवन-संघष हे तु शि त-संप?न बनाती है ।
प5रवार को सखी बनाने क लए नौकर6 करने से म>हलाय* का शार65रक और मान सक शोषण हो रहा है ।
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जहाँ म>हलाये >दन-30त>दन आ थक-3ग0त कर रह6 है वाह6 अपने आप को खतरनाक ज़ंग मA उतार रह6 है ।
वह ऐसे चq यूह मA 3वेश कर चक8 है जहाँ से 0नकला नह6 जा सकता । ससक- ससक कर दम तोड़ना ह6
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अि?तम स य है ।
नार6 -वतंEा क नाम पर वह दासता क दलदल मA फसती जा रह6 है । पहले क8 िजCमेदार6 तो उस पर है ह6
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या0न प5रवार क8 दे ख- भाल , ब:चो का पालन पोषण क8 िजCमेदार6 तो है ह6 ,ऊपर से आ थक िजCमेदार6
भी उसी क क?ध* पर दे द6 गई है । थोड़े मंहगे व-E* और दो चार आभु2नो क8 जंजीरे उसने -वयम सहष
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पहन ल6 है । वह खश है या नह6 अब वह 0नणय भी उसक हाथ मA नह6 रहा । नौकर6 क कारन ह6 वह अपन*
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से भी दर होती जा रह6 है । ब:चे आज शशु-शालाओं मA जा रहे है तो वद वद-आjम* मA । जहाँ अपनी-
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अपनी 0नय0त क सभी कोस रहे है और नार6 च प ता कर बेबस* क आंसू बहाती जा रह6 है । ना नौकर6
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छोड़ पाती है , न ब:चे , और ना प5रवार । इसी कारन म>हलाय* का मान सक -शार65रक संतुलन Uबगड़
जाता है ।
पहले जहाँ नार6 क8 हर तरफ़ इतनी 3ग0त नह6 थी वहां पर इतने अपराध नह6 थे । जैसे-जैसे नार6 क8 हर
ेE मA 3ग0त क8 सीमा बदती जा रह6 है वैसे-वैसे अपराध क8 सीमा बदती जा रह6 है । म>हलाय* क लए
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#कतने ह6 असुर ा क )वार खल जाते है । नौकर6 करते हुए भी उसक मन मA असुर ा का डर जhर बैठा
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रहता है । उनका शोषण हर जगह होता है । कह6 शार65रक , कह6 मान सक, तो कह6 आ थक । आए >दन
घ>टत घटनायेइस बात का 3मान है क8 म>हलाये आज काय शेE मA #कतनी असुर~ त और मजबूर है .
नौकर6 क कारन आज म>हलाये अपने नैस गक सौ?दय को खो बैठ है । अब उसमे न वह कोमलता रह6 है ,
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न नoता और न ह6 भोला सौ?दय। यह सच है क8 सैकडो लड़#कया सौ?दय प0तयो गताओं मA भाग लेती है ।
ये सब उनक शार65रक सौ?दय को ह6 दे खते है जो व भन ् स‘दय 3साधन* पर >टका होता है । आज उसक8
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ग5रमा और अि-मता का लोप होता जा रहा है । अंधाधंध बदती भौ0तकवा>दता ने -Eी को गुमराह कर >दया
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है । उसका सौ?दय Uबकाऊ होता गया है । कह6 व+ापन* मA नज़र आती है तो कह6 उ सवो क रं गारं ग काय -
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कCभो मA । लोगो का नज़5रया ह6 आज बदल गया है । -Eी जाती को वे सफ़ -Eी Yप मA ह6 दे खते है । उसे
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