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रचनाकार : -
योगेश गज्जा
( अमर शहीद श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान पर आधाररत )
शहीदो के ख्वाब
1. भारत ववश्व शक्तत बनें ।
2. भारत एक भ्रष्टाचार मुतत राष्र बनें ।
3. सभी नागररकों को समान अधिकार ममले ।
4. हर बच्चे को पयााप्त मशिा और भोजन ममले ।
5. संस्कृ तत और ऐततहामसक िरोहरो को नई पीढी के मलये सहेजा
जाना चाहहये ।
6. देश में प्रिानमंत्री से लेकर चपरासी तक को बदलने का अधिकार
(राईट टू ररकॉल) नागररकों के पास हो ।
के बाद...
(भारतीय स्वतन्त्त्रता हदवस)
15 अगस्त 1947
65 वर्षों बाद सच्चाई
1. 80 करोड़ भारतीय 20रू से कम दैननक आय पर जी रहे हैं ।
2. हर दूसरा बच्चा कु पोषित हैं ।
3. 100 मममियन भारतीय कच्ची बस्ती में बबना ककसी सुषवधा के
रहते हैं ।
4. आतंकवाद और नक्सिवाद जैसी समस्याएँ भारत झेि रहा हैं ।
5. 5 से 7 लाख रूपये सालाना ववदेशी कम्पनीयााँ लूट रही हैं ।
6. बिात्कार और अन्य निनौने अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं ।
7. हमारे पास िाखों रूपये की डिग्री हैं पर नौकरी नहीं ।
8. 1997 से अब तक 2 िाख ककसान आत्महत्या कर चुके हैं ।
9. हम भ्रष्ट राजनीतीज्ञों का कु छ नहीं बबगाड़ सकतें ।
10. अदाितों मे न्याय नहीं ममिता ।
5 से 7 लाख रूपये सालाना
ववदेशी कम्पनीयााँ लूट रही हैं ।
हम बात करेंगे -
1947(तक)
ईस्ट इंडिया कम्पनी
1947 से अब की रुपये की यात्रा
वर्षा रुपया (अमररकी डॉलर की तुलना में)
1952 5.00
1970 7.576
1975 8.409
1980 7.887
1985 12.369
1990 17.509
1995 32.427
2000 45.000
2006 48.336
वर्षा रूपया (अमररकी डॉलर की तुलना में)
2007 38.48
2008 48.88
2009 46.37
2010 46.21
2011[नवम्बर] 52.11
2011[हदसम्बर] 53.7147
2012[मई] 55.03
2012 [22 जून] 57.15
ग्राफ 1990 से अब तक
रूपया(िॉिरकीतुिनामें)
रूपये के अवमुल्यन के कारण
1. खत्म होते घरेलु व्यवसाय ।
2. कम होता तनयाात ।
3. ववश्व बैंक और ववदेशो का बढता कजा ।
4. हजारो ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में काम कर रही हैं ।
5. लाखो करोडो रूपये हर वर्षा ववदेशी कम्पनीयों द्वारा ववदेश ले
जाया जा रहा हैं ।
6. भ्रष्टाचार ।
1. आज भारत में 5000 से अधधक षवदेशी कम्पननयाँ
कायय कर रही हैं ।
2. हजारों षवदेशी कम्पनीयाँ हर विय 5 िाख करोड़ से
अधधक रूपये भारत से बाहर िे जा रही हैं ।
3. हमारे द्वारा षवदेशी कम्पनी के खरीदे गये ककसी भी
सामान का पैसा भारत के षवकास पर खचय नहीं होता
बल्ल्क सारा पैसा षवदेश चिा जाता हैं ।
फिर वहीं देश वह पैसा हमारे खखलाि इस्तेमाल करते हैं ।
इततहास में भी हमारे शहीदों और क्राक्न्त्तकारीयों ने
स्वदेशी की बात की और ईस्ट इंडडया कम्पनी का
ववरोि फकया ।
महात्मा गााँिी के साथ अन्त्य क्राक्न्त्तकारीयों ने भारत में
‘स्वदेशी आंदोलन’ चलाया ।
महात्मा गााँिी , शहीद-ए-आजम भगत मसंह , चन्त्रशेखर
आजाद , लोकमान्त्य बालगंगािर ततलक सरीके
क्राक्न्त्तकारीयों और शहीदों ने एक सुर में स्वदेशी से
स्वावलम्बन की बात की ।
15 अगस्त 1947 के बाद पल्डित जवाहरिाि नेहरू
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनें ।
1947 को भारत से सभी षवदेशी कम्पनीयाँ चिी गई ।
मसफय 2 विों बाद ही नेहरू जी ने 126 षवदेशी कम्पनीयों
को भारत बुिाया ।
परन्तु
इन तीन प्रधानमंत्रीयों को छोड़कर सभी
प्रधानमंत्रीयों ने भारत में षवदेशी कम्पनीयों
को बुिाया ।
श्री मोरारजी देसाईश्री लाल बहादुर शास्त्री श्री चन्त्रशेखर
कु तकय (राजनेताओं द्वारा)
1. सभी ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में ववदेशी पुाँजी लेकर
आती हैं ।
2. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश का तनयाात बढेगा ।
3. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश में गरीबी और
बेरोजगारी कम होंगी ।
4. ववदेशी कम्पनीयााँ अपने साथ अपने देश की तकनीकी
भी भारत में लेकर आयेंगी ।
कु तकय के पीछे सच्चाई
भारतीय ररजवा बैंक , ववत्त मंत्रालय और
वाखिज्य मंत्रालय आहद ववमभन्त्न
सरकारी दफ्तरों के दस्तावेजों से
प्राप्त जानकारी सरकारी तका से
उल्टी सच्चाई बयां करती हैं ।
तयों कोई भी ववदेशी कम्पनी तन:स्वाथा भाव से
अपने देश की पूाँजी भारत में लेकर आयेंगी ?
यह सभी षवदेशी कम्पनीयाँ अपने साथ भारत का
पैसा अपने देश िे जाने और भारत के
प्राकृ नतक संसाधनों को िूटने आती हैं ।
1. सभी ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में ववदेशी पुाँजी लेकर
आती हैं ।
जो भी ववदेशी कम्पनी भारत में आती हैं
, वह शुरूआती पुाँजी से 60 गुना
अधिक मुनािा कमाकर जाती हैं ।
उदाहरि : कोई ववदेशी कम्पनी यहद 1000 डॉलर
लेकर आती हैं तो वह भारत से 60,000 डॉलर
मुनािे के रूप में लेकर जाती हैं ।
कु छ ववदेशी कम्पनीयों के ररकॉडा
सूचना : - ननवेश और वाषियक मुनाफा रूपये में ।
कम्पनी शुरूआती तनवेश मुनािा
यूननिीवर (1933) 15 िाख 217 करोड़
कोिगेट (1940s) 13 िाख 231 करोड़
नोवाटटक्स (1960) 15 िाख 095 करोड़
कफमिप्स 1.50 करोड़ 190 करोड़
आई.टी.सी 37 करोड़ 3120 करोड़
बाटा 2 करोड़ 180 करोड़
ग्िैक्सो 8.40 करोड़ 537.66 करोड़
सभी षवदेशी कम्पनीयाँ हमारा पैसा अपने देश िे
जाती हैं । जैसे – यूननिीवर बिटेन और हॉिेडि,
कोिगेट अमेररका , आटद ।
1. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश का तनयाात बढेगा ।
क्या यह सच हैं ?
1813 से 1840 के बीच अंग्रेज सरकार ने भारत में एक सवेिि कराया ।
* सवेक्षण के अनुसार -
षवश्व में भारत का ननयायत 33% था ।
ल्जसमें ईस्ट इंडिया कम्पनी का योगदान मात्र 3.3% था ,
शेि योगदान भारतीय ककसानो और व्यापाररयों का था ।
बाद में , अंग्रेज सरकार द्वारा बनायें गयें कानूनों से
ककसानों और व्यापाररयों की स्वतन्त्रता खत्म हो गई
और भारत का ननयायत कम होने िगा ।
भारतीय तनयाात
(अंग्रेजी कानूनो से प्रभाववत)
वर्षा भारतीय तनयाात (% में)
1938 4.50
1950 2.20
1955 1.50
1960 1.20
1965 1.00
1970 0.70
1980 0.10
आज भी ननरन्तर भारत का ननयायत कम हो रहा हैं ।
आज हमारा ननयायत मात्र 0.5% ही रह गया हैं....
1947 तक भारत में मसफय ईस्ट इंडिया कम्पनी थी और हमारा ननयायत
5% था ।
आजादी के 65 विों बाद भारत में 5000+ षवदेशी कम्पनीयाँ व्यापार
कर रही हैं और भारत का ननयायत 0.5% रह गया हैं ।
वर्षा भारतीय तनयाात(% में)
1991 0.045
1993 0.042
3. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश में
गरीबी और बेरोजगारी कम होंगी ।
यह सबसे बडा झूठ हैं जो राजनेता
भारतीयों से कहते हैं ।
सच्चाई....
1947 तक देश में मसिा ईस्ट इंडडया कम्पनी थी , तब
भारत में 4.50 करोड लोग गरीब थे और देश की आबादी
35 करोड थी ।
स्वतन्त्त्रता के 65 वर्षों बाद (5000+ ववदेशी कम्पनीयााँ) -
भारत की आबादी 121 करोड हैं
और 80 करोड लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं ।
अधधकांशत: राजनेताओं द्वारा
यह कु तकय टदया जाता हैं ।
4. ववदेशी कम्पनीयााँ अपने साथ अपने देश की
तकनीकी भी भारत में लेकर आयेंगी ।
कोई भी ववदेशी कम्पनी अपने देश की
तकनीकी भारत में तयों लायेगी ?
तया उनका हदमाग खराब हैं या हमारे
नेताओं की नीयत खराब हैं ।
कु छ असिी आँकड़े
50% से अधिक ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में
शुन्त्य तकनीकी के सामान बेच रही हैं ।
साबुन, बबक्स्कट , आहद सामान क्जनको बनाने में जहटल तकनीकी नहीं लगती ,
वह शुन्त्य तकनीकी की वस्तुएाँ होती हैं ।
ऐसी वस्तुएाँ तो सहदयों से हमारे घरों में
हमारी माताएाँ-बहने बनाती हैं ।
90% षवदेशी कम्पनीयाँ भारत में ककसी तरह की तकनीकी
िेकर नहीं आती ।
मसफय 10% षवदेशी कम्पनीयाँ भारत में कोई तकनीक
िेकर आती हैं और वह भी ककसी भारतीय कम्पनी से
पाटयनरमशप करके ।
लेफकन हहरो-होण्डा , कावासकी-बजाज आहद कम्पतनयों में
ववदेशी कम्पनीयााँ थोडप तकनीकी लाती हैं परन्त्तु
इन्त्जन अपने ही देश में बनाती हैं । साथ ही भारत
को वह 20 वर्षों तक पुरानी तकनीकी देती हैं ।
एक छोटी पर सच्ची कहानी
जब , भारत के तत्कािीन
प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने
अमेररका और रूस से
सुपर कम्प्युटर खरीदने की
बात की , तब दोनो देशों
ने भारत कों सुपर
कम्प्युटर बेचने से मना
कर टदया ।
तब , भारत के मलये स्वदेशी सुपर
कम्प्युटर बनाने की क्जम्मेदारी
डॉ. ववजय पी. भटकर ने
उठाई ।
अन्त्तत: डॉ. भटकर नें कहठन
पररश्रम से पहले परम 8000
और फिर परम 10000
बनाया । जो फक ववश्व का
सवाश्रेष्ठ सुपर कम्प्युटर हैं ।
परम 10000 की ही तरह भारत ने स्वदेशी तकनीकी से वर्षा 1975 में
‘आयाभट्ट’ नामक पहला सैटेलाईट बनाया ।
साथ ही भारत ने स्वदेशी तकनीकी से डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. होमी
जहााँगीर भाभा के प्रयत्नों से ममसाईल और एटम बम बनाया ।
डॉ. अब्दुल कलाम डॉ. होमी जहााँगीर भाभा श्री सी.वी. रमन
प्रस्तुत तथ्यों से हम कह सकते हैं कक षवदेशी कम्पनीयाँ अपने
स्वाथय के मिये आती हैं न कक भारत कक भिाई के मिये ।
1. वह हमें अपनी पुाँजी नहीं देती ।
2. इन कम्पनीयों के कारि भारत में गरीबी बढती हैं न
फक कम होती हैं ।
3. यह कम्पनीयााँ कभी भी हमें महत्वपूिा तकनीकी नहीं
देती ।
4. भारत के कम हो रहे तनरेयात प्रततशत के मलये भी
यह कम्पनीयााँ ही क्जम्मेदार हैं ।
अमर शहीद श्री राजीव दीक्षक्षत जी के षवचारो से प्रेररत
एवं हर-टदि-अजीज राजीव भाई को समषपयत.............
अपनी मशकायत या सुझाव देने के मलये संपका करेेः-
swadeshi.gajja@gmail.com
09571247052 , 07891018820

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  • 1. रचनाकार : - योगेश गज्जा ( अमर शहीद श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान पर आधाररत )
  • 2. शहीदो के ख्वाब 1. भारत ववश्व शक्तत बनें । 2. भारत एक भ्रष्टाचार मुतत राष्र बनें । 3. सभी नागररकों को समान अधिकार ममले । 4. हर बच्चे को पयााप्त मशिा और भोजन ममले । 5. संस्कृ तत और ऐततहामसक िरोहरो को नई पीढी के मलये सहेजा जाना चाहहये । 6. देश में प्रिानमंत्री से लेकर चपरासी तक को बदलने का अधिकार (राईट टू ररकॉल) नागररकों के पास हो ।
  • 4. 65 वर्षों बाद सच्चाई 1. 80 करोड़ भारतीय 20रू से कम दैननक आय पर जी रहे हैं । 2. हर दूसरा बच्चा कु पोषित हैं । 3. 100 मममियन भारतीय कच्ची बस्ती में बबना ककसी सुषवधा के रहते हैं । 4. आतंकवाद और नक्सिवाद जैसी समस्याएँ भारत झेि रहा हैं । 5. 5 से 7 लाख रूपये सालाना ववदेशी कम्पनीयााँ लूट रही हैं । 6. बिात्कार और अन्य निनौने अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं । 7. हमारे पास िाखों रूपये की डिग्री हैं पर नौकरी नहीं । 8. 1997 से अब तक 2 िाख ककसान आत्महत्या कर चुके हैं । 9. हम भ्रष्ट राजनीतीज्ञों का कु छ नहीं बबगाड़ सकतें । 10. अदाितों मे न्याय नहीं ममिता ।
  • 5. 5 से 7 लाख रूपये सालाना ववदेशी कम्पनीयााँ लूट रही हैं । हम बात करेंगे -
  • 7. 1947 से अब की रुपये की यात्रा वर्षा रुपया (अमररकी डॉलर की तुलना में) 1952 5.00 1970 7.576 1975 8.409 1980 7.887 1985 12.369 1990 17.509 1995 32.427 2000 45.000 2006 48.336
  • 8. वर्षा रूपया (अमररकी डॉलर की तुलना में) 2007 38.48 2008 48.88 2009 46.37 2010 46.21 2011[नवम्बर] 52.11 2011[हदसम्बर] 53.7147 2012[मई] 55.03 2012 [22 जून] 57.15
  • 9. ग्राफ 1990 से अब तक रूपया(िॉिरकीतुिनामें)
  • 10. रूपये के अवमुल्यन के कारण 1. खत्म होते घरेलु व्यवसाय । 2. कम होता तनयाात । 3. ववश्व बैंक और ववदेशो का बढता कजा । 4. हजारो ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में काम कर रही हैं । 5. लाखो करोडो रूपये हर वर्षा ववदेशी कम्पनीयों द्वारा ववदेश ले जाया जा रहा हैं । 6. भ्रष्टाचार ।
  • 11. 1. आज भारत में 5000 से अधधक षवदेशी कम्पननयाँ कायय कर रही हैं । 2. हजारों षवदेशी कम्पनीयाँ हर विय 5 िाख करोड़ से अधधक रूपये भारत से बाहर िे जा रही हैं । 3. हमारे द्वारा षवदेशी कम्पनी के खरीदे गये ककसी भी सामान का पैसा भारत के षवकास पर खचय नहीं होता बल्ल्क सारा पैसा षवदेश चिा जाता हैं । फिर वहीं देश वह पैसा हमारे खखलाि इस्तेमाल करते हैं ।
  • 12. इततहास में भी हमारे शहीदों और क्राक्न्त्तकारीयों ने स्वदेशी की बात की और ईस्ट इंडडया कम्पनी का ववरोि फकया । महात्मा गााँिी के साथ अन्त्य क्राक्न्त्तकारीयों ने भारत में ‘स्वदेशी आंदोलन’ चलाया । महात्मा गााँिी , शहीद-ए-आजम भगत मसंह , चन्त्रशेखर आजाद , लोकमान्त्य बालगंगािर ततलक सरीके क्राक्न्त्तकारीयों और शहीदों ने एक सुर में स्वदेशी से स्वावलम्बन की बात की ।
  • 13. 15 अगस्त 1947 के बाद पल्डित जवाहरिाि नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनें । 1947 को भारत से सभी षवदेशी कम्पनीयाँ चिी गई । मसफय 2 विों बाद ही नेहरू जी ने 126 षवदेशी कम्पनीयों को भारत बुिाया । परन्तु
  • 14. इन तीन प्रधानमंत्रीयों को छोड़कर सभी प्रधानमंत्रीयों ने भारत में षवदेशी कम्पनीयों को बुिाया । श्री मोरारजी देसाईश्री लाल बहादुर शास्त्री श्री चन्त्रशेखर
  • 15. कु तकय (राजनेताओं द्वारा) 1. सभी ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में ववदेशी पुाँजी लेकर आती हैं । 2. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश का तनयाात बढेगा । 3. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश में गरीबी और बेरोजगारी कम होंगी । 4. ववदेशी कम्पनीयााँ अपने साथ अपने देश की तकनीकी भी भारत में लेकर आयेंगी ।
  • 16. कु तकय के पीछे सच्चाई भारतीय ररजवा बैंक , ववत्त मंत्रालय और वाखिज्य मंत्रालय आहद ववमभन्त्न सरकारी दफ्तरों के दस्तावेजों से प्राप्त जानकारी सरकारी तका से उल्टी सच्चाई बयां करती हैं ।
  • 17. तयों कोई भी ववदेशी कम्पनी तन:स्वाथा भाव से अपने देश की पूाँजी भारत में लेकर आयेंगी ? यह सभी षवदेशी कम्पनीयाँ अपने साथ भारत का पैसा अपने देश िे जाने और भारत के प्राकृ नतक संसाधनों को िूटने आती हैं । 1. सभी ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में ववदेशी पुाँजी लेकर आती हैं ।
  • 18. जो भी ववदेशी कम्पनी भारत में आती हैं , वह शुरूआती पुाँजी से 60 गुना अधिक मुनािा कमाकर जाती हैं । उदाहरि : कोई ववदेशी कम्पनी यहद 1000 डॉलर लेकर आती हैं तो वह भारत से 60,000 डॉलर मुनािे के रूप में लेकर जाती हैं ।
  • 19. कु छ ववदेशी कम्पनीयों के ररकॉडा सूचना : - ननवेश और वाषियक मुनाफा रूपये में । कम्पनी शुरूआती तनवेश मुनािा यूननिीवर (1933) 15 िाख 217 करोड़ कोिगेट (1940s) 13 िाख 231 करोड़ नोवाटटक्स (1960) 15 िाख 095 करोड़ कफमिप्स 1.50 करोड़ 190 करोड़ आई.टी.सी 37 करोड़ 3120 करोड़ बाटा 2 करोड़ 180 करोड़ ग्िैक्सो 8.40 करोड़ 537.66 करोड़
  • 20. सभी षवदेशी कम्पनीयाँ हमारा पैसा अपने देश िे जाती हैं । जैसे – यूननिीवर बिटेन और हॉिेडि, कोिगेट अमेररका , आटद । 1. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश का तनयाात बढेगा । क्या यह सच हैं ?
  • 21. 1813 से 1840 के बीच अंग्रेज सरकार ने भारत में एक सवेिि कराया । * सवेक्षण के अनुसार - षवश्व में भारत का ननयायत 33% था । ल्जसमें ईस्ट इंडिया कम्पनी का योगदान मात्र 3.3% था , शेि योगदान भारतीय ककसानो और व्यापाररयों का था । बाद में , अंग्रेज सरकार द्वारा बनायें गयें कानूनों से ककसानों और व्यापाररयों की स्वतन्त्रता खत्म हो गई और भारत का ननयायत कम होने िगा ।
  • 22. भारतीय तनयाात (अंग्रेजी कानूनो से प्रभाववत) वर्षा भारतीय तनयाात (% में) 1938 4.50 1950 2.20 1955 1.50 1960 1.20 1965 1.00 1970 0.70 1980 0.10
  • 23. आज भी ननरन्तर भारत का ननयायत कम हो रहा हैं । आज हमारा ननयायत मात्र 0.5% ही रह गया हैं.... 1947 तक भारत में मसफय ईस्ट इंडिया कम्पनी थी और हमारा ननयायत 5% था । आजादी के 65 विों बाद भारत में 5000+ षवदेशी कम्पनीयाँ व्यापार कर रही हैं और भारत का ननयायत 0.5% रह गया हैं । वर्षा भारतीय तनयाात(% में) 1991 0.045 1993 0.042
  • 24. 3. ववदेशी कम्पनीयों के आने से देश में गरीबी और बेरोजगारी कम होंगी । यह सबसे बडा झूठ हैं जो राजनेता भारतीयों से कहते हैं ।
  • 25. सच्चाई.... 1947 तक देश में मसिा ईस्ट इंडडया कम्पनी थी , तब भारत में 4.50 करोड लोग गरीब थे और देश की आबादी 35 करोड थी । स्वतन्त्त्रता के 65 वर्षों बाद (5000+ ववदेशी कम्पनीयााँ) - भारत की आबादी 121 करोड हैं और 80 करोड लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं ।
  • 26. अधधकांशत: राजनेताओं द्वारा यह कु तकय टदया जाता हैं । 4. ववदेशी कम्पनीयााँ अपने साथ अपने देश की तकनीकी भी भारत में लेकर आयेंगी ।
  • 27. कोई भी ववदेशी कम्पनी अपने देश की तकनीकी भारत में तयों लायेगी ? तया उनका हदमाग खराब हैं या हमारे नेताओं की नीयत खराब हैं ।
  • 28. कु छ असिी आँकड़े 50% से अधिक ववदेशी कम्पनीयााँ भारत में शुन्त्य तकनीकी के सामान बेच रही हैं । साबुन, बबक्स्कट , आहद सामान क्जनको बनाने में जहटल तकनीकी नहीं लगती , वह शुन्त्य तकनीकी की वस्तुएाँ होती हैं । ऐसी वस्तुएाँ तो सहदयों से हमारे घरों में हमारी माताएाँ-बहने बनाती हैं ।
  • 29. 90% षवदेशी कम्पनीयाँ भारत में ककसी तरह की तकनीकी िेकर नहीं आती । मसफय 10% षवदेशी कम्पनीयाँ भारत में कोई तकनीक िेकर आती हैं और वह भी ककसी भारतीय कम्पनी से पाटयनरमशप करके । लेफकन हहरो-होण्डा , कावासकी-बजाज आहद कम्पतनयों में ववदेशी कम्पनीयााँ थोडप तकनीकी लाती हैं परन्त्तु इन्त्जन अपने ही देश में बनाती हैं । साथ ही भारत को वह 20 वर्षों तक पुरानी तकनीकी देती हैं ।
  • 30. एक छोटी पर सच्ची कहानी जब , भारत के तत्कािीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अमेररका और रूस से सुपर कम्प्युटर खरीदने की बात की , तब दोनो देशों ने भारत कों सुपर कम्प्युटर बेचने से मना कर टदया ।
  • 31. तब , भारत के मलये स्वदेशी सुपर कम्प्युटर बनाने की क्जम्मेदारी डॉ. ववजय पी. भटकर ने उठाई । अन्त्तत: डॉ. भटकर नें कहठन पररश्रम से पहले परम 8000 और फिर परम 10000 बनाया । जो फक ववश्व का सवाश्रेष्ठ सुपर कम्प्युटर हैं ।
  • 32. परम 10000 की ही तरह भारत ने स्वदेशी तकनीकी से वर्षा 1975 में ‘आयाभट्ट’ नामक पहला सैटेलाईट बनाया । साथ ही भारत ने स्वदेशी तकनीकी से डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. होमी जहााँगीर भाभा के प्रयत्नों से ममसाईल और एटम बम बनाया । डॉ. अब्दुल कलाम डॉ. होमी जहााँगीर भाभा श्री सी.वी. रमन
  • 33. प्रस्तुत तथ्यों से हम कह सकते हैं कक षवदेशी कम्पनीयाँ अपने स्वाथय के मिये आती हैं न कक भारत कक भिाई के मिये । 1. वह हमें अपनी पुाँजी नहीं देती । 2. इन कम्पनीयों के कारि भारत में गरीबी बढती हैं न फक कम होती हैं । 3. यह कम्पनीयााँ कभी भी हमें महत्वपूिा तकनीकी नहीं देती । 4. भारत के कम हो रहे तनरेयात प्रततशत के मलये भी यह कम्पनीयााँ ही क्जम्मेदार हैं ।
  • 34. अमर शहीद श्री राजीव दीक्षक्षत जी के षवचारो से प्रेररत एवं हर-टदि-अजीज राजीव भाई को समषपयत.............
  • 35. अपनी मशकायत या सुझाव देने के मलये संपका करेेः- swadeshi.gajja@gmail.com 09571247052 , 07891018820